डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जारी विवाद में नया मोड़ आ गया है. बुधवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट सामने आई. इस रिपोर्ट के आधार पर हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाईगई है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया कि पत्थरों में हिंदू धर्म से जुड़े प्रतीक पाए गए हैं और दो तहखानों में देवी-देवताओं की मूर्तियां पाई गई हैं. सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि तहखाने की छत जिन खंभों पर टिकी है वे सभी नागर शैली के मंदिर के स्तंभ हैं. इस मामले पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यह रिपोर्ट अनुमान पर आधारित है और वैज्ञानिक अध्ययन का मजाक उड़ाती है.

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने गुरुवार को कहा ASI की रिपोर्ट से संकेत मिला है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी. जैन ने बताया कि एएसआई की 839 पन्नों वाली सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रतियां गुरुवार देर शाम अदालत द्वारा संबंधित पक्षों को उपलब्ध करा दी गईं. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से स्पष्ट है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक भव्य हिंदू मंदिर को ध्वस्त किए जाने के बाद उसके अवशेषों पर बनाई गई थी. जैन ने यह भी दावा किया कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में मंदिर के अस्तित्व के पर्याप्त सबूत मिलने की बात कही गई है, जिस पर मस्जिद का निर्माण किया गया था.

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क्या बोला हिंदू पक्ष?
उन्होंने दावा किया कि सर्वेक्षण के दौरान दो तहखानों में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के अवशेष पाए गए हैं. जैन ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण में स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने दावा किया कि मंदिर को तोड़ने का आदेश और तारीख पत्थर पर फारसी भाषा में अंकित है. उन्होंने कहा कि 'महामुक्ति' लिखा हुआ एक पत्थर भी मिला है. जैन ने कहा कि मस्जिद के पीछे की पश्चिमी दीवार एक मंदिर की दीवार है. 

विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उस दीवार पर घण्टा, वल्लरी (लताओं का उकेरा गया चित्र) और स्वास्तिक का चिह्न मिला है. दीवार पर पत्थरों पर उकेरा गया ब्रह्म कमल का तोरण द्वार बना हुआ है. जैन ने कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्ञानवापी परिसर में स्थित तहखाने की छत जिन खम्भों पर टिकी है वे सब नागर शैली के मंदिर के स्तंभ हैं. उन्होंने कहा कि इन साक्ष्यों से यह प्रतीत होता है कि 17वीं शताब्दी में औरंगजेब द्वारा जब आदि विशेश्वर का मंदिर तोड़ा गया था तो उसके पूर्व उक्त स्थान पर विशाल मंदिर ही था.

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उनका कहना है कि अब हम वजू खाने के सर्वेक्षण की मांग अदालत के समक्ष करेंगे. वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर एएसआई की सर्वेक्षण रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों सहित कुल 11 लोगों ने अदालत में आवेदन किया था. इससे पहले, हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया था कि वाराणसी के जिला जज ए. के. विश्वेश ने बुधवार को मुकदमे के पक्षकारों को सर्वेक्षण की प्रतिलिपि उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था जिसके बाद अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश दिया था. एएसआई ने 18 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला अदालत को सौंपी थी.

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