डीएनए हिंदीः वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन के मामले में सोमवार को जिला अदालत का फैसला आएगा. जिला कोर्ट आज यह तय करेगा कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मुकदमे की पोषणीयता यानी मुकदमा चलने योग्य है या नहीं. जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश अपना फैसला सुनाएंगे. फैसले से पहले वाराणसी में धारा-144 लागू कर दी गई है. बम निरोधक दस्ता और डॉग स्क्वाड के संग पुलिस ने कोर्ट परिसर की चप्पे-चप्पे की चेकिंग की.
क्या है मामला?
जिला कोर्ट में 1991 में स्थानीय पुजारियों ने एक याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद एरिया में पूजा करने की इजाजत मांगी थी. इस याचिका में कहा गया कि 16वीं सदी में औरंगजेब के आदेश पर काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई गई थी. याचिकाकर्ताओं का दावा था कि औरंगजेब के आदेश पर मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई गई. उन्होंने दावा किया कि मस्जिद परिसर में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं और उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा की इजाजत दी जाए.
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कोर्ट के आदेश पर हुआ
वहीं मामले में इसके बाद वाराणसी के एक वकील विजय शंकर रस्तोगी ने निचली अदालत में एक याचिका दायर की और कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण अवैध तरीके से हुआ था. इसके साथ ही उन्होंने मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग की. यह याचिका अयोध्या में बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिसंबर 2019 में दायर की गई थी. अप्रैल 2021 में वाराणसी कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग को मस्जिद का सर्वे करके रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया.
तीन महीने लगातार चली सुनवाई
जून के आखिरी हफ्ते से लगातार इस मामले पर हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के वकीलों द्वारा दलीलें पेश की जा रही थीं. सुनवाई पूरी होने के बाद ज्ञानवापी मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं, इस मसले पर फैसले को जिला जज ने रिजर्व कर लिया. मामले पर जिला जज ऐके विश्वेश अब आज यानी 12 सितंबर को फैसला सुनाएंगे.
क्या है ऑर्डर 7 रूल नंबर 11?
कोर्ट को इस मामले में केस की मेरिट पर फैसला करना है. कोर्ट यह तय करेगा कि ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सुनवाई के लायक है कि या नहीं. वादी पक्ष द्वारा जो मांग की जा रही है क्या वह कोर्ट के दायरे में आती है, इस पर कोर्ट को फैसला करना है. यह मामला कोर्ट के दायरे में नहीं आता है तो कोर्ट इस मामले को सुनने से ही इनकार कर सकता है.
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प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होता: हिंदू पक्ष के वकील
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 लागू नहीं होता है. उन्होंने कहा कि 1937 में दीन मोहम्मद के केस में 15 लोगों ने इस बात की गवाही दी थी कि वहां पूजा होती थी जो 1942 तक हुई. इसलिए वह एक्ट ज्ञानवापी प्रकरण में प्रभावी नहीं होगा. यही तथ्य हमने अदालत के सामने रखा है.
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ज्ञानवापी मस्जिद केस में वाराणसी कोर्ट आज सुनाएगी फैसला, जानें कब-कब क्या हुआ?