डीएनए हिंदी: चुनावी मौसम आता है तो हार-जीत का खेल शुरू हो जाता है. किस पार्टी ने किसा पार्टी को हराया इस पर चर्चा होती है. किस उम्मीदवार ने किसे मात दी इस पर बात होती है. अधिकतर मतदाता किसी ना किसी उम्मीदवार या पार्टी को वोट देते हैं. लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है जब किसी मतदाता को कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं होता. ऐसे मतदाता EVM में मौजूद NOTA का बटन दबाते हैं. गुजरात विधानसभा, हिमाचल प्रदेश विधानसभा और एमसीडी चुनावों के रिजल्ट के जरिए समझते हैं कितना पॉपुलर है NOTA का बटन.
गुजरात में माया, अखिलेश और ओवैसी की पार्टी को दी पटखनी
गुजरात में रिकॉर्ड 7वीं बार बीजेपी सरकार बनाने जा रही है. बीजेपी को लगभग 50% से ज्यादा गुजरातियों ने अपनी पहली पसंद माना. कांग्रेस को करीब 27% मतदाताओं ने पसंद किया. AAP को लगभग 12% से ज्यादा वोट मिले. वहीं वोट डालने वाले कुल मतदाताओं में से 1% से ज्यादा मतदाताओं को कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आया और उन्होने NOTA का बटन दबाया. NOTA को मिलने वाले वोट मायावाती की बीएसपी, असदउद्दीन ओवैसी की AIMIM, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, शरद पवार की NCP, बिहार सीएम नीतीश कुमार की जेडीयू, नेशनल पार्टी CPI(M) को मिलने वाले वोट से ज्यादा हैं.
हिमाचल प्रदेश में दो नेशनल पार्टियों से ज्यादा वोट
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने बीजेपी को पछाड़ते हुए सत्ता पर कब्जा किया. कांग्रेस पर लगभग 44% से ज्यादा वोट मिले. बीजेपी के कमल के फूल का बटन 43.22% मतदाताओं ने दबाया. हिमाचल प्रदेश के लगभग 0.60% मतदाताओं को भी कोई भी कैंडीडेट पसंद नहीं आया. यहां भी मायावाती की पार्टी बीएसपी को NOTA के कम वोट मिले. एक और नेशनल पार्टी CPI को भी NOTA से कम वोट मिले. हालांकि गुजरात में NOTA से कम वोट हासिल करने वाली CPI(M) यहां थोड़ा ज्यादा वोट पाने में सफल रहे.
क्या कहता है नियम?
नियम के मुताबिक NOTA के वोट कम हों या ज्यादा उससे चुनाव के नतीजों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. जिस भी उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे उसे ही विजेता घोषित कर दिया जाएगा.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर
- Log in to post comments
गुजरात-हिमाचल चुनाव में अखिलेश-ओवैसी-मायावती की पार्टियां ढेर, इन दलों को मिले NOTA से भी कम वोट