हिमाचल के शिमला के कोटखाई में हुए बहुचर्चित गुड़िया रेप और हत्याकांड में आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में दोषी पूर्व आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी व डीएसपी समेत 8 पुलिस जवानों को तीन अलग-अलग धाराओं के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत ने सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. बता दें, गुड़िया मामला साल 2017 का है.
बीते 18 जनवरी को सीबीआई कोर्ट ने गवाहों के बयान व सबूतों के आधार पर दोषी करार देने के बाद पुलिस ने जैदी के अलावा तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल व सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सतेता को गिरफ्तार कर लिया था, जो के अभी बुड़ैल जेल बंद हैं. कोर्ट ने इन्हें मामले में दोषी पाया था.
क्या था गुड़िया हत्याकांड
4 जुलाई 2017 को शिमला जिले के कोटखाई क्षेत्र में एक छात्रा स्कूल से घर लौटते समय लापता हो गई थी. दो दिन बाद उसका निर्वस्त्र शव तांदी के जंगल में बरामद हुआ. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि छात्रा के साथ रेप हुआ और हत्या की पुष्टि की गई. इस मामले पर हिमाचल पुलिस ने तत्कालीन आईजी जहूर हैदर जैदी की अगुआई में एक विशेष जांच दल का गठन किया. जल्द ही टीम ने छह संदिग्धों को हिरासत में लिया. इन संदिग्धों में एक नेपाली युवक सूरज भी शामिल था. सूरज की 18 जुलाई, 2017 को कोटखाई थाने में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. इसके बाद हिमाचल प्रदेश में भारी जनाक्रोश देखने को मिला.
'पुलिस बर्बरता से हुई मौत'
मामले को लेकर पुलिस पर बर्बरता का आरोप लगा. युवक के लिए न्याय की मांग उठने लगी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई. मामले में खुलासा हुआ कि सूरज की मौत पुलिस हिरासत में बर्बरता से हुई है. इस मामले को लेकर चंडीगढ़ की सीबीआई विशेष अदालत में सुनवाई चली. अदालत ने अंतिम बहस सुनने के बाद पूर्व आईजी जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया. फैसले के बाद अदालत ने सभी दोषियों को हिरासत में लेने का आदेश दिया. सभी दोषी आरोपियों को 27 जनवरी को सजा सुनाई गई.
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आरोपियों की लिस्ट में कौन-कौन था शामिल?
इस मामले में एसआईटी का नेतृत्व कर रहे 1994 बैच के IPS ऑफिसर जहूर हैदर जैदी को सीबीआई ने अगस्त 2017 में गिरफ्तार किया. पूर्व भाजपा सरकार ने जनवरी 2020 में जैदी को निलंबित कर दिया था. तीन साल बाद जनवरी 2023 में वर्तमान कांग्रेस सरकार ने उनका निलंबन रद्द कर दिया और छह माह बाद उन्हें पुलिस विभाग में तैनाती दी गई. मामले में दोषी करार देने के बाद पुलिस ने हिमाचल प्रदेश के आईपीएस आईजी जहूद हैदर जैदी, दीप चंद शर्मा, मोहन लाल, सूरत सिंह, मनोज जोशी, राजिंद्री सिंह, रफी मोहम्मद व रंजीत सतेता को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है, जबकि गवाहों के बयान व सुबूतों के अभाव में नामजद हिमाचल के एसपी डंडूब वांगियाल नेगी को बरी कर दिया गया है. सभी दोषी आरोपियों को 27 जनवरी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
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