डीएनए हिंदी: आसमान छू रही महंगाई की बीच सरकार ने आम जनता को थोड़ी राहत दी है. सरकार ने आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM) में शामिल ज्यादातर दवाओं के अधिकतम मूल्य की सीमा तय कर दी है, जिसके चलते अप्रैल से 651 दवाओं के दाम औसतन 6.73 प्रतिशत घट गए हैं.
नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (National Pharmaceutical Pricing Authority-NPPA) ने सोमवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. एनपीपीए ने कहा कि सरकार NLEM में सूचीबद्ध कुल 870 दवाओं में से अबतक 651 के अधिकतम मूल्य को तय कर पाई है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनएलईएम में सितंबर, 2022 में संशोधन किया था और अब इसके दायरे में कुल 870 दवाएं आती हैं.
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12 प्रतिशत बढ़ने वाले थे दाम
एनपीपीए का कहना है कि 651 आवश्यक दवाओं का अधिकतम मूल्य तय करने से इनकी औसतम कीमत 16.62 प्रतिशत कम हो चुकी है. उसने बयान में कहा, ‘इसके चलते, जिन 651 दवाओं के दाम 12.12 प्रतिशत बढ़ने वाले थे, उनमें एक अप्रैल से 6.73 प्रतिशत की कमी हुई है. उसने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर दवाओं के दामों में 12.12 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बावजूद उपभोक्ताओं को कीमतों में कमी का लाभ मिलेगा. एनपीपीए ने 25 मार्च को कहा था कि 2022 के लिए डब्ल्यूपीआई में वार्षिक बदलाव 12.12 प्रतिशत है.
दवाओं की कौन तय करता है कीमत?
भारत में किसी भी ड्रग्स की कीमत तय करने का काम नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) करती है. एनपीपीए हर साल होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) के आधार दवाओं के दाम में बदलाव कर सकती है. NPPA का काम भारत में बनने वाली दवाओं की कीमत तय करने के साथ-साथ उन पर नियंत्रण और उपलब्धता बनाए रखना भी है. मार्केट में दवाओं की खुदरा कीमत दवा आदेश, 2013 के आधार पर राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण द्वारा तय की जाती है. जिन मेडिसिन की सूची दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के अंदर आती हैं उनकी कीमत NPPA तय करती है.
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दवाओं के महंगे बिल से मिलेगी राहत, सरकार ने 651 मेडिसिन के घटाए दाम, जानें कितनी रखी कीमत