डीएनए हिंदी: केंद्र की मोदी सरकार की ओर से सरकारी अधिकारियों को प्रचार रथ का प्रभारी बनाने के ऐलान के बाद विवाद शुरू हो गया है. कांग्रेस ने आरोप लगाए हैं कि सरकार अब सभी एजेंसियों, संस्थाओं, हथियारों, विंग और विभागों को आधिकारिक तौर पर प्रचारक के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी भी लिखी है और यह आदेश वापस लेने की मांग की है. इस पूरे मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने सरकार के इस फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि लोक कल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अगर सरकारी नुमाइंदे ही काम करेंगे तो इसमें बुराई क्या है?
अपने दो पन्नों की चिट्ठी में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह एक अत्यंत सार्वजनिक महत्व के मामले पर लिख रहे हैं जो न केवल INDIA पार्टी के लिए बल्कि बड़े पैमाने पर लोगों के लिए भी चिंता का विषय है. कांग्रेस नेता ने कहा, 'इसका संबंध आज देश में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल की सेवा में हो रहे सरकारी तंत्र के घोर दुरुपयोग से है.' खड़गे ने 18 अक्टूबर के एक पत्र का हवाला दिया, जिसके विषय में कहा गया है कि संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव जैसे उच्च रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को भारत के सभी 765 जिलों में तैनात किया जाना है.
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खड़गे ने PM मोदी को लिख डाली चिट्ठी
उन्होंने कहा, 'उन्हें सरकार की पिछले 9 वर्षों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए रथ प्रभारी के रूप में तैनात किया जाएगा. यह कोई संयोग नहीं है कि पिछले नौ साल आपके कार्यकाल के अनुरूप हैं. यह कई कारणों से गंभीर चिंता का विषय है. यह केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो निर्देश देता है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगा. हालांकि, सरकारी अधिकारियों के लिए उपलब्धियों का प्रदर्शन करने के लिए सूचना प्रसारित करना स्वीकार्य है लेकिन यह उन्हें सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक कार्यकर्ताओं में बदल देता है.'
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How can civil servants be ordered to do political propaganda for a government going into elections?
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) October 21, 2023
IAS officers will be ‘Rath Prabharis.’ @IASassociation pic.twitter.com/tgVukmU8SK
खड़गे ने रक्षा मंत्रालय द्वारा 9 अक्टूबर को पारित एक आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें वार्षिक अवकाश पर गए सैनिकों को सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में समय बिताने का निर्देश दिया गया था, जिससे उन्हें सैनिक राजदूत बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि सेना प्रशिक्षण कमान जिसे हमारे जवानों को राष्ट्र की रक्षा के लिए तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, सरकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के तरीके पर स्क्रिप्ट और प्रशिक्षण मैनुअल तैयार करने में व्यस्त है. लोकतंत्र में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखा जाए और प्रत्येक कर्मी की निष्ठा राष्ट्र और संविधान के प्रति है.
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मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे लिखा है, 'हमारे सैनिकों को सरकारी योजनाओं का मार्केटिंग एजेंट बनने के लिए मजबूर करना सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण की दिशा में एक खतरनाक कदम है.' उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि हमारे देश के लिए कई महीनों या वर्षों की कठिन सेवा के बाद सैनिक अपनी वार्षिक छुट्टी पर पूर्ण स्वतंत्रता के पात्र हैं. उन्होंने कहा, 'राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उनकी छुट्टियों का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए.'
क्या है सरकार का प्लान?
एक सरकारी आदेश के मुताबिक, 'विकसित भारत संकल्प यात्रा' निकाली जानी है जिसके जरिए एक सुसज्जित रथ के जरिए लोगों को पिछले 9 साल की सरकार की अहम उपलब्धियों के बारे में बताया जाएगा. इसमें एक अधिकारी रथ प्रभारी के रूप में तैनात किया जाएगा. यह योजना 20 नवंबर से 25 जनवरी 2024 तक चलाई जाएगी.
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'प्रचार रथ प्रभारी' पर हंगामा, खड़गे ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी