Satellite Spectrum: भारत में सैटेलाइट नेटवर्क के इंतजार को लेकर सरकार ने बड़ा बयान दिया है. केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने लोकसभा में बताया कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया अपनाई जाएगी. सरकार यह भी विचार कर रही है कि इसे नीलामी के बिना कैसे आवंटित किया जा सकता है. उन्होंने यह साफ किया कि सभी निर्णय नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिए जाएंगे और तकनीकी तथा आर्थिक कारकों का भी ध्यान रखा जाएगा.
स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया
संचार मंत्रालय ने इस मामले को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) को भेजा है. TRAI को स्पेक्ट्रम की कीमत, लाइसेंस और इससे जुड़ी अन्य शर्तों पर अपनी सिफारिशें देनी हैं. सरकार के इस बयान से सैटकॉम इंडस्ट्री में हलचल मच गई है, क्योंकि स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर दुनिया भर में चर्चाएं हो रही हैं.
सैटेलाइट स्पेक्ट्रम
स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया पर स्टारलिंक (एलन मस्क), अमेज़न की Kuiper और भारत की टेलीकॉम कंपनियां जियो, एयरटेल और वोडाफोन आमने-सामने हैं. एलन मस्क मौजूदा सिस्टम का विरोध कर रहे हैं. चाहते हैं कि इसे बिना नीलामी के आवंटित किया जाए. वहीं, रिलायंस जियो और अन्य भारतीय कंपनियां नीलामी की प्रक्रिया पर जोर दे रही हैं.
शहरी क्षेत्र में होगी बड़ी टक्कर
स्टारलिंक और अमेज़न जैसी कंपनियां शहरी क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देने की योजना बना रही हैं, जहां उनकी सीधी टक्कर जियो और एयरटेल जैसी कंपनियों से होगी. रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टारलिंक की सेवाएं अपेक्षाकृत महंगी हैं, जबकि जियो और एयरटेल भारतीय ग्राहकों को सस्ता इंटरनेट उपलब्ध कराने पर काम कर रहे है. सरकार और TRAI के आगामी फैसलों पर सैटेलाइट नेटवर्क के भविष्य का रास्ता तय कर दिया है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया किसे फायदा पहुंचाएगी और भारत में सैटेलाइट इंटरनेट के क्षेत्र में कौन सी कंपनी बढ़त बनाएगी.
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सैटेलाइट स्पेक्ट्रम पर सरकार का बड़ा कदम, Elon Musk और Mukesh Ambani के जियो में छिड़ सकती है जंग