डीएनए हिंदी: दीपावली के बाद पड़वा पर्व मनाएं जाने की सदियों पुरानी परंपरा रही है लेकिन आज सोमवती अमावस्या होने से पड़वा पर्व कल मनाया जाएगा. बात उज्जैन जिले के बड़नगर तहसील अंतर्गत ग्राम भिडावदा की करें तो यहां पड़वा पर्व परंपरा अनुसार आज ही मनाया गया. इस पर्व पर गाय के गोबर से गोवर्धन मनाकर महिलाएं पूजा करती है. साथ ही एक अनूठी परंपरा का निर्वहन इस दिन कई वर्षों से अलग-अलग गांवो में होता आ रहा है जिसमें सैकड़ों गाय इंसानों के ऊपर से दौड़ती हैं. शासन-प्रशासन भी इसमें कभी हस्तक्षेप नहीं कर पाया. हालांकि, सुरक्षा के लिए अधिकारी और पुलिस की टीम तैनात रहती है.

यह परंपरा सदियों पुरानी बताई जाती है. इस परंपरा में श्रद्धालु 5 दिन का उपवास रखकर मंदिर में भजन-कीर्तन करते हैं और आखरी दिन जमीन पर लोटते हैं और ऊपर से एक साथ सैकड़ों गाय दौड़ती है. गायों को श्रद्धालुओं के ऊपर से निकाला जाता है जिसे श्रद्धालु आर्शीवाद मानते है. इस बार भी उज्जैन से करीब 60 से 70 किलामीटर की दूरी पर स्थित बडनगर तहसील के ग्राम भिडावद में सुबह गाय का पूजन किया गया, पूजन के बाद लोग जमीन पर लेटे और उनके ऊपर से गायें निकाली गई. मान्यता है कि ऐसा करने से हर मनोकामना पूरी होती है और जिन लोगो की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है वे ही ऐसा करते है. परंपरा के पीछे लोगों का मानना है कि गोमाता में 33 कोटि के देवी-देवताओं का वास रहता है और गोमाता के पैरों के नीचे आने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.

यह भी पढ़ें- इस मंदिर में आजादी के बाद पहली बार मनाई गई दिवाली, जानिए क्या थी वजह 

हावी है आस्था
इसके वीडियो देखें तो यह दृश्य रोंगटे खड़े कर देने वाला होता है. देखा जाए तो आस्था के नाम पर यहां लोगो की जान के साथ खिलवाड़ भी किया जाता है. हमारे देश भारत ने आज वैज्ञानिक तरक्की के जरिए भले ही दुनियाभर में अपनी मजबूत पहचान बना ली है लेकिन इक्कीसवीं सदी में जी रहे भारत देश में आज भी परंपरा और आस्था का बोलबाला हे. आस्था और परंपरा की हदें पार हो जाये तो आस्था और अंध विश्वास में फर्क करना मुश्किल हो जाता है.

यह भी पढ़ें- शराब नहीं मिली तो फूंक दिया ठेका, दुकानदार को भी जलाने की कोशिश

इसी तरह मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे और सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रख दिया. उसी के बाद से हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी, तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
govardhan pooja ujjain cow crossing over human tradition
Short Title
गोवर्धन पूजा पर अपने ऊपर से गाय गुजारते हैं यहां के लोग, समझिए क्या है यह अजीब प
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Video Grab
Caption

Video Grab

Date updated
Date published
Home Title

गोवर्धन पूजा पर अपने ऊपर से गाय गुजारते हैं यहां के लोग, समझिए क्या है यह अजीब परंपरा

 

Word Count
480