प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSCC)में दुनिया को चार अंतरिक्ष यात्रियों से रूबरू कराया. ये चारों अंतरिक्ष यात्री भारत के पहले इंसानी स्पेस मिशन का हिस्सा बनने जा रहे हैं. ये चारों वायुसेना के पायलट हैं, जिन्हें 3000 घंटों तक की उड़ान का अनुभव है. इनमें से ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर केरल से, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन तमिलनाडु से, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला यूपी से हैं.
आपको बता दें कि गगनयान के चारों एस्ट्रोनॉट्स को रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट सेंटर (Yuri Gagarin Cosmonaut Centre) में 3 महीने दी कड़ी ट्रेनिंग दी गई. इस ट्रेनिंग में अंतरिक्ष यात्रियों को हर परिस्थिति के लिए तैयार किया गया.
कैसे हुआ सिलेक्शन?
मिशन का हिस्सा बनने के लिए बहुत सारे पायलट्स ने ऐप्लिकेशन दी थी. इनमें से 12 पायलट्स ने बेगलुरु में सितंबर 2019 में पहले लेवल का सिलेक्शन प्रोसेस पूरा किया. यह सिलेक्शन वायुसेना के तहत आने वाले इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (LAM) ने किया. इसके बाद कई राउंड में IAM और ISRO ने इन चारों को सिलेक्ट किया. इसके बाद इन चारों पायलट्स को 2020 में शुरुआती ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा गया.
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कैसे हुई ट्रेनिंग?
ट्रेनिंग के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को खास विमानों में जीरो ग्रेविटी का अनुभव कराया गया. इसका कारण है था कि वे अंतरिक्ष में ग्रेविटी की कमी के प्रभाव को बेहतर तरीके से समझ सकें और उस प्रभाव में अच्छी तरह से रहना सीख सकें.
अंतरिक्ष यात्रियों को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की कठिन ट्रेनिंग भी दी गई. ट्रेनिंग का यह पार्ट अंतरिक्ष में रहने और काम करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए जरूरी है. यह ट्रेनिंग जीरो ग्रैविटी की स्थिति में शारीरिक संतुलन और सहन क्षमता को मजबूत बनाती है.
अंतरिक्ष यात्रियों की फिटनेस के लिए एक्सपर्ट्स की देखरेख में ट्रेनिंग दी गई. इस ट्रेनिंग की मदद से एस्ट्रोनॉट को स्पेस में रह सकने के लिए तैयार किया गया. रोजाना एस्ट्रोनॉट को घंटों तक कठिन एक्टिविटी करनी पड़ती थी.
क्या है गगनयान मिशन?
ये मिशन भारत का पहला Human space mission है. इस मिशन में चार Astronaut को 400 किलोमीटर ऊपर धरती की Lower orbit में स्पेस में भेज जाएगा. दो से तीन दिन स्पेस में रहने के बाद उन्हें वापस हिंद महासागर में समुद्र के अंदर उतारा जाएगा. ISRO ने इस मिशन की टेस्टिंग पिछले साल की थी. इस मिशन में HSFC (Human Space Flight Centre) का खास योगदान है. ISRO का गगनयान मिशन साल 2025 तक लॉन्च होगा. हालांकि, इसके शुरुआती चरणों को 2024 तक पूरा किया करने की कोशिश की जा रही है.
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13 महीनों की कड़ी ट्रेनिंग के बाद, जानें कैसे सिलेक्ट हुए ये चार गगनवीर