अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म 'रुस्तम' की तरह ही कमांडो जिगर व्यास की कहानी है. फिल्म नौसेना के कमांडर केएम नानावती की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित थी, जो अपनी पत्नी के प्रमी की हत्या करने के लिए जेल गए थे. कुछ वैसे ही गुजरात के जिगर व्यास की कहानी है. जिगर व्यास के पारिवारिक जीवन से पहले उनके कामकाजी जीवन की बात कर ली जाए.
कौन हैं जिगर व्यास?
जिगर व्यास का जन्म गुजरात के भावनगर में हुआ था. साल 2000 में उन्हें 9 पैरा स्पेशल फोर्स में हेड कांस्टेबल के तौर पर नियुक्त किया गया. उनकी पहली पोस्टिंग मणिपुर में हुई. मणिपुर में उन्होंने अपने कार्यकाल में तीन माओवादियों को मार गिराया. इसके बाद जम्मू-कश्मीर फिर 2008 में 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप (SAG) में NSG कमांडों के रूप में तैनात किया गया. जिगर व्यास के नाम कई उपलब्धियां हैं. ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो में आतंकवादी के पैर में गोली मारने से लेकर कागरिल में चार आतंकवादियों को मारने के साथ ही 26/11 हमले में आतंकवादियों को धूल चटाने का कारनामा भी जिगर व्यास ने किया. 26/11 हमले में जिगर व्यास ने एक आतंकवादी के पैर में गोली मारी थी. इस ऑपरेशन में वे खुद भी घायल हो गए थे, पर फिर 36 घंटे तक मोर्चा संभाला. देश के दुश्मनों की छाती पर चढ़कर सबक सिखाने वाला ऐसा जाबांज 'शेर' आज राजकोट की जेल में बंद है. जिगर देश के दुश्मनों का बहादुरी से सामने करने में सफल रहे, पर रिश्तों के मामले में पिछड़े गए.
पति-पत्नी और वो से लेकर जेल तक की कहानी
फरवरी 2015 में जिगर व्यास चार हफ्ते की छुट्टी पर अपने होम टाउन गए. तब तक उनकी पत्नी चेतना किसी और व्यक्ति के साथ किराये के फ्लैट में रहने लगी थीं. जिगर उस फ्लैट पर पहुंचे तो पत्नी और पत्नी का बॉयफ्रेंड देवेंद्र शर्मा को आपत्तिजनक स्थिति में देखा. इस स्थिति को देखने के बाद जिगर खुद को रोक नहीं पाए और लाइसेंस्ड गन निकाली और देवेंद्र शर्मा पर तान दी. देवेंद्र तो इस घटना में मारा गया और पत्नी चेतना घायल हो गई. घायल अवस्था में चेतना पुलिस स्टेशन पहुंची और शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने जिगर व्यास को गिरफ्तार कर लिया. 2016 में भावनगर कोर्ट ने जिगर व्यास को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
यह भी पढ़ें - Akhnoor Encounter: जम्मू के अखनूर में सेना का ऑपरेशन जारी, NSG ने संभाला मोर्चा, 1 आतंकी ढेर
जिगर व्यास की रिहाई की मांग
जिगर व्यास के जेल जाने के बाद उनकी मां की स्थिति दयनीय हो गई. जिगर के पिता का निधन पहले ही चुका था. अब उनकी 64 वर्षीय मां चाहती है कि उनके बेटे को जल्द रिहाई मिल जाए. सेना ने साल 2019 में हाईकोर्ट से अपील की कि देश के जोगर व्यास जैसे बहादुर जवान की जरूरत है. जिगर व्यास ने जम्मू-कश्मीर में कई मुठभेड़ों में सात आतंकवादियों को मार गिराने के लिए 7 पदक दिए गए हैं. 15 साल की सेवा के दौरान जिगर चार बार गोली का शिकार हो चुके हैं. उन्हें राष्ट्रपति द्वारा 7 वीर चक्र प्रदान किए गए हैं.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
- Log in to post comments
26/11 मुंबई से लेकर कारगिल तक में दिखाया जलवा, अब क्यों जेल में बंद है ये जांबाज NSG कमांडो? गुहार लगा रही मां