दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर भाजपा विधायक ने अजीबोगरीब आरोप लगाए हैं. पटपड़गंज से विधायक चुने गए रविंद्र सिंह नेगी ने कहा है कि सिसोदिया पंखा-एसी और कुर्सी-टेबल तक चुरा ले गए. नेगी के आरोपों में जितनी सच्चाई हो, लेकिन भारत में बड़े नेताओं के बारे में इस तरह की चर्चाएं अक्सर होती रहती हैं. किसी राज्य के मुख्यमंत्री पर सीएम हाउस से टोटी चोरी करने का आरोप लगा तो किसी के यहां छापे में हजारों किलोग्राम सोना-चांदी मिलने की खबरें सुर्खियां बनीं. मध्य प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपना पाजामा लाने के लिए एक हवाई जहाज श्रीनगर से भोपाल भेज दिया था. इतना ही नहीं, एक बार वे अपने शहर के कलेक्टर के घर सुबह 4 बजे पहुंच गए थे. इसलिए कि उन्हें स्वीमिंग के लिए जाना था. उस समय वे देश के गृह मंत्री थे.
गुलाम नबी आजाद की शादी का वाकया
हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश चंद्र सेठी की. सेठी अपनी प्रशासनिक क्षमता और ईमानदारी के लिए मशहूर थे. इतनी ही चर्चा उनके गुस्से और सनकी व्यवहार की भी होती है. 1980 में गुलाम नबी आजाद की शादी लोक गायिका शमीम देव से हुई थी. वही गुलाम नबी आजाद जो वर्षों तक कांग्रेस में रहे और आगे चलकर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी बने. उनकी शादी में सेठी भी शामिल हुए थे. वे एक दिन के लिए ही गए थे, लेकिन किसी कारणवश रुकना पड़ गया. सेठी को ध्यान आया कि वे अपना पाजामा लेकर नहीं आए हैं. उन्होंने पाजामा लाने के लिए कश्मीर से एक हवाई जहाज भोपाल भेज दिया. रात के साढ़े नौ बजे सेठी का पाजामा पहुंचा, तब जाकर उन्होंने अपने कपड़े बदले और सोनेके लिए गए.
4 बजे सुबह पहुंचे कलेक्टर के घर
1982 में प्रकाश चंद्र सेठी केंद्रीय गृह मंत्री बने. तब अजीत जोगी इंदौर के कलेक्टर हुआ करते थे. इंदौर सेठी का होमटाउन था. एक बार वो इंदौर में थे तो सुबह 4 बजे अजीत जोगी के बंगले पर पहुंच गए. जोगी के स्टाफ ने आकर बताया कि बाहर गृह मंत्री उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं. वे कार में अकेले बैठे हैं. जोगी भागे-भागे बाहर आए. सेठी ने उन्हें अपने साथ स्वीमिंग पूल चलने को कहा. वजह ये बताई कि उन्हें तैरना है, लेकिन अकेले तैरने में डर लगता है. जोगी को न चाहते हुए भी सेठी के साथ जाना पड़ा क्योंकि मामला देश के गृह मंत्री का था.
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सेठी जब मुख्यमंत्री थे, तब एमपी के चंबल क्षेत्र में डकैतों की समस्या चरम पर थी. जयप्रकाश नारायण डकैतों के आत्मसमर्पण की कोशिशों में लगे थे, लेकिन मामला ठंडा ही चल रहा था. सेठी ने विचार दिया कि क्यों न डकैतों के ठिकानों पर बमबारी करा दी जाए. अधिकारियों ने ना-नुकुर की तो सेठी देश के रक्षा मंत्री जगजीवन राम के पास पहुंच गए. जगजीवन राम एयर फोर्स के विमानों से बमबारी के लिए तैयार हो गए. सेठी भोपाल लौटे, लेकिन इसी बीच यह खबर लीक हो गई. अखबारों में खबर छपी तो डकैतों में भगदड़ मच गई. इनमें से कई डकैत, जो खुद को बागी कहते थे, जयप्रकाश नारायण के पास पहुंचे और आत्मसमर्पण को तैयार हो गए. करीब 450 डकैतों ने आनन-फानन में आत्मसमर्पण कर दिया. जिस काम में जेपी महीनों से लगे थे, वह कुछ दिनों में हो गया. बाद में पता चला कि सेठी ने खुद ही ये खबर लीक करवाई थी.
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सेठी के बारे में इस तरह के कई किस्से एमपी की राजनीति में मशहूर हैं. उनकी मौत के बाद उनके साथ काम कर चुके लोगों ने बताया कि सेठी अपने गुस्से को कंट्रोल नहीं कर पाते थे. वे लंबे समय से डायबिटिज के मरीज थे और तनाव के क्षणों में घबरा जाते थे. गुस्से में वे कई बार हाथ तक उठा देते थे. एक बार उन्होंने अपने चपरासी को ही पीट दिया था. इंदिरा गांधी को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने सेठी को धीरेंद्र ब्रह्मचारी के आश्रम में भेजा था. वे वहां दो-तीन सप्ताह रहे थे. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सेठी का सियासी सफर ज्यादा लंबा नहीं चला. 1996 में उनकी मौत हो गई.
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पाजामा लाने कश्मीर से भोपाल भेजा प्लेन, स्वीमिंग के लिए सुबह 4 बजे कलेक्टर को जगाया...ऐसे सीएम को जानते हैं आप!