Bihar flood: कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है जब जब ये नदीं उफान पर होती है राज्य में नई तबाही को जन्म देती है. अब एक बार फिर से कोसी नदी ने रौद्र रूप धारण किया है. इसकी वजह से राज्य सरकार ने किनारों से सटे लोगों से सावधान रहने की अपील की है.
दरअसल कोसी नदी पर बने बीरपुर और वाल्मिकीनगर बैराजों से सुबह पांच बजे तक कुल 6.61 लाख क्यूसेक से भी ज्यादा पानी छोड़ा गया. पिछले 56 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतनी ज्यादा मात्रा में पानी छोड़ा गया है. पानी छोड़े जाने के बाद राज्य के उत्तरी, दक्षिणी और मध्य हिस्सों में बाढ़ की चेतावनी जारी की है.
अधिकारियों ने कहा कि इससे 13 जिलों के 16.28 लाख से अधिक लोगों की स्थिति खराब हो सकती है. जल संसाधन विभाग की टीमें 24 घंटे मौके पर मौजूद है और तटबंधों की निगरानी कर रही हैं. किसी भी तरह का कटाव या खतरे का पता चलते तुरंत उसकी मरम्मत की जा सके.
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राज्य के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार ने बिहार के लोगों से कहा है कि डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि 'पिछले दो-तीन दिनों से लगातार बारिश के बाद राज्य भर में गंडक, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और महानंदा, बागमती और गंगा नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है.
नेपाल बाढ़ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा है कि 'नेपाल के कारण सीमावर्ती जिलों में कई स्थानों पर नदियां खतरे के स्तर को छू रही हैं या खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं. वहीं जो क्षेत्र पहले से बाढ़ से प्रभावित वहां अभी भी बारिश हो रही है.'
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56 सालों बाद बिहार में कोसी का कहर, बढ़ते जल स्तर से कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात