India-Canada Relations: जस्टिन ट्रूडो के बाद कनाडा को नया प्रधानमंत्री मार्क कार्नी मिल गया है. अब माना जा रहा है कि कनाडा-भारत के बीच दोस्ती के अच्छे दिन आएंगे. बता दें, कार्नी कनाडा के केंद्रीय बैंक के गर्वनर रह चुके हैं. उन्होंने भारत के साथ संबंधों को सुधारने की बात कही है. अमेरिका की तरफ से 'टैरिफ वॉर' का सामना कर रहा कनाडा के लिए अब भारत के साध संबंधों को बेहतर करना चाहता है. वहीं, अच्छी बात ये है कि कार्नी अर्थशास्त्र से जुड़े होने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को बेहतर तरीके से समझते हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि जस्टिन ट्रूडो ने भारत  के साथ जो रायता फैलाया उसे अब समेटना का वक्त आ गया है. 

भारत को लेकर क्या बोले कार्नी?
एक्स पर दिखे एक वीडियो में कार्नी को बोलते सुना जा सकता है कि भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाने के भी अवसर हैं. उस व्यावसायिक संबंध के ईर्द-गिर्द साझा मूल्यों की भावना होनी चाहिए. अगर मैं प्रधानमंत्री होता, तो मैं इसे हनाने के अवसर का इंतजार करता है. 

क्यों बिगड़े थे भारत-कनाडा के रिश्ते
बता दें,  पिछले साल सितंबर में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का 'संभावित' हाथ होने का आरोप तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लगाया था. ट्रूडो के इस रुख के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में खटास आ गई थी. हालांकि, भारत ने दृढ़ता से कनाडा के आरोपों का खंडन किया था. अब कनाडा को नए प्रधानमंत्री मिलने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत के साथ संबंध अच्छे होंगे, क्योंकि कार्नी ने हाल ही में कहा था कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करेंगे. 

भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और कार्नी की समझ
इस साल जनवरी तक, कार्नी ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के बोर्ड के अध्यक्ष थे, जो एक ऐसी फर्म है जिसने भारत में रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में लगभग 30 बिलियन डॉलर का निवेश किया है. अब ऐसे में कार्नी अच्छे से समझते हैं कि अर्थव्यवस्था के मामले में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और व्यावसायिक संबंधों को मजबूत करना दोनों देशों के हित में है. कार्नी का मानना है कि व्यावसायिक संबंध के इर्द-गिर्द मूल्यों की साझा भावना होनी चाहिए, और अगर मैं प्रधानमंत्री होता, तो मैं इसे बनाने के अवसर की प्रतीक्षा करता. ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर कार्नी की समझ रिश्तों को सुधारने में सहायक हो सकती है. 

अमेरिका पर निशाना भारत से दोस्ती...
अमेरिका द्वारा टैरिफ की मार झेल रहा कनाडा भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है. हाल ही में मार्क कार्नी ने  अमेरिका की आलोचना करते हुए कहा कि कोई हमारी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर है. उन्होंने स्पष्ट किया कि डोनाल्ड ट्रंप ने हमारे उत्पादों, बेची जाने वाली वस्तुओं और जीवनयापन के साधनों पर अनुचित शुल्क लगाए हैं. इससे कनाडाई परिवारों, श्रमिकों और व्यवसायों पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है, लेकिन हम उन्हें अपने उद्देश्यों में सफल नहीं होने देंगे.

कार्नी ने यह भी कहा कि जब तक अमेरिका अपने शुल्क जारी रखेगा, कनाडा भी जवाबी शुल्क लागू रखेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई कनाडा ने नहीं शुरू की, लेकिन यदि किसी पर दबाव डाला जाता है, तो कनाडाई लोग उसका डटकर सामना करते हैं. कार्नी ने यह भी कहा कि अमेरिकी हमारे संसाधन, पानी, जमीन और देश पर नजर गड़ाए हुए हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वे अपने इरादों में सफल हो गए, तो हमारी जीवनशैली को खतरा हो सकता है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, 'अमेरिका, कनाडा नहीं है, और कनाडा कभी भी किसी भी रूप में अमेरिका का हिस्सा नहीं बनेगा.' बता दें इससे पहले अमेरिका ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को भी अपने खनिज उत्पादों में हिस्सेदारी की मांग की थी. इसका जेलेंस्की ने विरोध किया था. अब कनाडा भी अमेरिका का विरोध कर रहा है. 

कार्नी से कितनी उम्मीद?
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कार्नी से अभी बहुत अधिक उम्मीद करना नाइंसाफी होगा. अभी कोई नीतिगत बदलाव के बारे में कयास नहीं लगाए जा सकते हैं लेकिन यह माना जा रहा है कि उनकी नेतृत्व शैली और आर्थिक फोकस कई तरीकों से भारत के प्रति कनाडा के दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकते हैं. वहीं, कार्नी की असली चुनौती लिबरल पार्टी में मौजूद खालिस्तानी समर्थकों से निपटना होगा जो पार्टी पर काफी प्रभाव रखते हैं. इसके अलावा कनाडा में इसी साल अक्टूबर में आम चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में यह कार्नी के नेतृत्व की परीक्षा भी है.


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कौन हैं मार्क कार्नी 
मार्क कार्नी का जन्म कनाडा के फोर्ट स्मिथ, नॉर्थवेस्ट टेरिटरीज में हुआ. उन्होंने अपना बचपन एडमंटन में बिताया. इसके बाद, वे अमेरिका गए और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की. इसके बाद वो यूनाइटेड किंगडम चले गए, जहां उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पहले मास्टर्स डिग्री और फिर 1995 में अर्थशास्त्र में पीएचडी की. कार्नी 2008 में बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर नियुक्त किए गए थे. 

 

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Explainer: भारत-कनाडा की 'दोस्ती के दिन...'
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Explainer: भारत-कनाडा की 'दोस्ती के दिन...', India को लेकर क्या सोचते हैं Canada के नए PM मार्क कार्नी!

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