डीएनए हिंदी: अयोध्या में राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद का विवाद कई दशकों से देश की अलग-अलग अदालतों में चला. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला दिया था. फैसला देने वालों में जस्टिस सुधीर अग्रवाल भी शामिल थे. इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज सुधीर अग्रवाल ने बताया है कि फैसला देने से पहले उन पर भी कई तरह के दबाव थे लेकिन वह फैसला सुनाकर ही माने.
रिटायर्ड जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने कहा है, 'लोग चाहते थे मैं अयोध्या विवाद का फैसला टाल दूं. मुझ पर दबाव भी बनाया जा रहा था. कोई यह फैसला नहीं करना चाहता था. मैं नहीं करता तो 200 साल तक यह विवाद लटका रहता.' ये बातें उन्होंने मेरठ के एक कॉलेज में कार्यक्रम के दौरान कहीं. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की बहुत सारी बातें उन्होंने अपनी जीवनी में लिखी हैं.
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'गिरफ्तार हुए लोगों के बयान से डर गया था परिवार'
उन्होंने मेरठ के कॉलेज में कहा, 'फैसला सुनाते समय मुझ पर कोई तनाव नहीं था. हां, तब मेरा परिवार तनाव में जरूर था जब पकड़े गए कुछ लोगों ने बयान दिया था कि फैसला सुनाने वाले जजों को मारने की तैयारी थी.' जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने कहा कि मुझसे चीफ जस्टिस ने पूछा कि आपका नाम अयोध्या केस में डाल रहा हूं कोई समस्या तो नहीं है? इस पर सुधीर अग्रवाल ने कहा, 'मुझे समस्या नहीं है लेकिन अगर मैं नियुक्त हुआ तो मैं फैसला जरूर सुनाऊंगा.'
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उन्होंने कहा कि इस फैसले की वजह से उन्हें पूरे देश में पहचान मिली. सुधीर अग्रवाल ने कहा कि वह गुजरात, महाराष्ट्र, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत गए और वहां लोगों ने उनके साथ फोटो खिंचवाए और पैर भी छुए.
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राम मंदिर पर फैसला देने वाले जज सुधीर अग्रवाल बोले- दबाव था कि फैसला टाल दूं लेकिन...