अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक और विद्वान रस्किन बॉन्ड को साहित्य अकादमी का सर्वोच्च सम्मान महत्तर सदस्यता प्रदान की गयी. शनिवार को उनके मसूरी स्थित घर पर प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित किया गया. उन्हें यह सम्मान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने प्रदान किया. बॉन्ड को सितंबर 2021 में अकादमी के सर्वोच्च सम्मान के लिए नामित किया गया था.
रस्किन बॉन्ड का जन्म 19 मई, 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था. वह पिछले 50 वर्षों से अधिक समय से लेखन की दुनिया में सक्रिय हैं. उन्होंने लघु कथाएं, बच्चों की किताबें, उपन्यास, आत्मकथात्मक रचनाएं और गैर-काल्पनिक साहित्य सहित साहित्य की विभिन्न शैलियों में लिखा है. वैग्रन्ट्स इन द वैली’, ‘वन्स अपॉन ए मानसून टाइम’, ‘एंग्री रिवर’, ‘स्ट्रेंजर्स इन द नाइट’, ‘ऑल रोड्स लीड टू गंगा’, ‘टेल्स ऑफ फोस्टरगंज’, ‘लेपर्ड ऑन द माउंटेन’ तथा ‘टू मच ट्रबल’ उनकी फेमस किताबों में शामिल हैं.
स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल हुई उनकी किताबें
1978 की हिंदी फिल्म जुनून रस्किन के ऐतिहासिक उपन्यास ए फ्लाइट ऑफ पिजन्स (1857 का भारतीय विद्रोह) पर आधारित है. उनकी कहानियों का रूपांतरण दूरदर्शन पर टीवी धारावाहिक ‘एक था रस्टी’ के रूप में प्रसारित किया गया. उनकी कई कहानियां – द नाइट ट्रेन एट देवली, टाइम स्टॉप्स एट शामली और अवर ट्रीज़ स्टिल ग्रो इन देहरा को भारत में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया. उनके लोकप्रिय बच्चों के उपन्यास द ब्लू अम्ब्रेला पर 2005 में फिल्म बनाई गई थी.
1992 में मिला था साहित्य अकादमी पुरस्कार
उनके कहानी-संग्रह आवर ट्रीज़ स्टिल ग्रो इन देहरा के लिए वर्ष 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्होंने विशाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित 2011 की फिल्म 7 खून माफ में एक छोटी भूमिका निभाई, जो उनकी कहानी ‘सुज़ाना के सात पतियों’ पर आधारित है. उनको सरकार ने वर्ष 1999 में पद्मश्री तथा वर्ष 2019 में पद्म भूषण और साहित्य अकादेमी ने बाल साहित्य पुरस्कार (2012) से भी सम्मानित किया गया.
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Ruskin Bond साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित, लेखन के क्षेत्र में कई साल से हैं सक्रिय