डीएनए हिंदी: रेल हादसों (Rail Accident) में हाथियों की मौतों के मामलों को कम करने के प्रयास में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने देश भर में 1,800 किलोमीटर रेलवे ट्रैक (Raiway Track) के संवेदनशील बिंदुओं की पहचान की है, जहां ऐसी घटनाओं की संभावना अधिक है.
अधिकारी के मुताबिक परीक्षण के आधार पर लगभग 15 से 20 संवेदनशील बिंदुओं के भू-निर्देशांक रेलवे के साथ साझा किए गए हैं जो इन स्थानों पर निवारक उपाय करेगा. इन उपायों में रेलवे पटरियों पर जंगली हाथियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए रैंप के निर्माण जैसे सरल तरीकों को शामिल किया जा सकता है.
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क्या होगी हाथियों की बचाने की रणनीति?
एक अधिकारी ने कहा, 'अधिकांश दुर्घटनाओं के कारणों में पटरियों के किनारे पत्थर और दोनों तरफ तटबंध शामिल हैं, जिससे युवा हाथियों का चलना मुश्किल हो जाता है. कई बार, वे पीछे रह जाते हैं और वयस्क हाथी उन्हें बचाने की कोशिश में अपनी जान गंवा बैठते हैं. उन्होंने कहा कि परीक्षण के आधार पर इन 15-20 संवेदनशील बिंदुओं पर मिट्टी के रैंप बनाए जाएंगे.'
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लगातार हाथियों की संख्या में आ रही गिरावट
एक दशक पहले तक हाथियों की संख्या 10 लाख तक थी जो इस समय भारी गिरावट के साथ महज 27,000 रह गई है. हाथियों के घटती संख्या और उनकी मौत भारत के केरल में सबसे ज्यादा होती है हाथी को मारना या नुकसान पहुंचाना कानूनन अपराध है. हाथियों की मौत हादसों की वजह से भी होती है.
हाथियों की हत्या पर हो सकती है 3 साल की सजा
हाथियों की हत्या करने पर आरोपियों को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के अनुसार जानवरों की हत्या पर 3 साल तक की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. देश में 2017 में आखिरी बार हाथियों की गिनती की गई थी. 2017 में हुई हाथियों की गिनती के अनुसार भारत में 30 हजार हाथी हैं, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती जा रही है.
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ट्रेन हादसों में कैसे रुके हाथियों की मौत? पर्यावरण मंत्रालय ने तैयार किया प्लान