डीएनए हिंदी: भारत में G-20 के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और अब दिल्ली को बेसब्री से 8 सितंबर का इंतज़ार है. जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत दुनिया भर के ताक़तवर देशों के राष्ट्राध्यक्ष दिल्ली पहुंचेंगे. 9 और 10 सितंबर को होने वाली इस G-20 समिट में दुनिया के ये दिग्गज नेता अलग - अलग मुद्दों पर मंथन करेंगे लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बैठक से ग़ैरहाज़िर रहेंगे. उनकी जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग G20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. आज हम डीएनए टीवी शो में सौरभ राज जैन के साथ जानेंगे कि क्या भारत के बढ़ते कद से चीन डर गया है.
शी जिनपिंग के दिल्ली नहीं आने की ख़बरों पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी निराशा जताई है. अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बाइडेन ने कहा कि वो जिनपिंग के G 20 की बैठक में शामिल नहीं होने से निराश हैं. हालांकि बाइडेन ने उम्मीद जताई है कि वो जल्दी ही उनसे मुलाक़ात करेंगे. G-20 दुनिया की टॉप 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का फ़ोरम है और वर्ष 2008 में आई आर्थिक मंदी के बाद इसका गठन किया गया था. चीन इस वक़्त दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, ऐसे में इस बैठक से शी जिनपिंग के दूरी बनाने पर कई सवाल भी उठ रहे हैं. ये सवाल इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि शी जिनपिंग पिछले ही महीने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुई BRICS देशों की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे थे लेकिन G-20 के लिए उन्होने ख़ुद आने की जगह प्रधानमंत्री ली कियांग को भेजने का फ़ैसला लिया है. आइए आपको बताते हैं कि आख़िर इतने अहम मौक़े पर भी उनके दिल्ली से दूरी बनाने के पीछे क्या वजहें हो सकती हैं.
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दिल्ली को बस मेहमानों का इंतज़ार है...
दुनिया के सबसे ताक़तवर देशों की बैठक दिल्ली में हो रही है. 9 और 10 सितंबर को दिल्ली इन ताक़तवर नेताओं की मेहमाननवाज़ी करेगी. इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों समेत दुनिया के ज़्यादातर बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष दिल्ली पहुंच रहे हैं लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग-G20 के इस स्टेज से ग़ैरहाज़िर रहेंगे. उनकी जगह चीन के प्रीमियर यानी प्रधानमंत्री ली कियांग दिल्ली आएंगे...लेकिन इस अहम मौक़े पर जिनपिंग की दिल्ली से दूरी को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. सवाल ये कि जब जिनपिंग BRICS की बैठक के लिए द अफ्रीका जा सकते हैं तो फिर वो उससे बड़े संगठन जी - 20 के लिए दिल्ली क्यों नहीं आ रहे.
क्यों दिल्ली नहीं आ रहे हैं जिनपिंग
जिनपिंग के इंकार के पीछे इसके कई जवाब हो सकते हैं. जिसमें पहला है, चीन का विवादित नक्शा. दरअसल, चीन ने कुछ दिन पहले ही अपना नया नक्शा जारी किया था. इस नक्शे में चीन ने अक्साई चीन के साथ अरुणाचल प्रदेश को भी अपना हिस्सा बताया था. चीन की हरकत का भारत ने मुंहतोड़ जवाब भी दिया था. यही नहीं, अरुणाचल प्रदेश में जी-20 की बैठक भी आयोजित हो चुकी है और चीन इससे भी तिलमिलिया हुआ था.
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भारत के बढ़ते से घबराया चीन
जिनपिंग के दिल्ली न आने की दूसरी वजह भारत का बढ़ता क़द भी हो सकती है. बीते कुछ वर्षों में भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क़द पूरी दुनिया में तेज़ी से बढ़ा है. जी-20 जैसे बड़े ग्रुप की मेजबानी भी भारत के बढ़ते क़द का प्रतीक है. शी जिनपिंग जानते हैं कि जी-20 भारत का शो है, ये शो जितना हिट होगा, भारत की साख भी उतनी ही मज़बूत होगी. ऐसे में हो सकता है कि शी जिनपिंग दिल्ली से दूरी बनाकर इस शो को फ़ीका करना चाहते हों.
भारत का चीन की शर्तें न मानना भी जिनपिंग की ग़ैरहाज़िरी की बड़ी वजह हो सकती है. कहा जा रहा है कि सीमा विवाद के बीच मोदी-जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता के लिए भी स्टेज सेट किया जा रहा था. हो सकता है कि जिनपिंग की तरफ़ से इस बातचीत से पहले कुछ ऐसी शर्तें रखी गई हों. जिन्हे मानने से भारत ने इनकार कर दिया हो. ये भी हो सकता है कि शी जिनपिंग फिलहाल अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का सामना करने या मिलने से बच रहे हों
क्योंकि बलून विवाद के बाद दोनों देशों के रिश्ते मुश्किल हालात से गुज़र रहे हैं.
ऐसे में हो सकता है कि जिनपिंग बिना अपनी शर्तें मनवाए बाइडेन से मीटिंग एवॉइड कर रहे हों. जिनपिंग जी 20 सम्मेलन में न आकर पश्चिमी देशों को कोई मैसेज देना चाह रहे हों क्योंकि जी 20 देशों में एक तरह पश्चिमी देशों, ख़ासकर अमेरिका का दबदबा है, जबकि जिनपिंग BRICS और SCO जैसे संगठनों का विस्तार कर पश्चिमी देशों के प्रभुत्व को चुनौती देना चाहते हैं और हो सकता है कि जी-20 की बैठक में न आने का उनका फ़ैसला इससे भी कोई संबंध रखता हो.
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शी जिनपिंग के भारत न आने से पड़ेगा कोई फर्क?
शी जिनपिंग के भारत आने या न आने से जी-20 की बैठक और उसके कामों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि ज़्यादातर एजेंडे पहले ही तय हो चुके हैं और बस अब आख़िरी बयान जारी होना है. ये रिपोर्ट पढ़कर आप समझ चुके होंगे कि आख़िर शी जिनपिंग के G-20 की बैठक के लिए दिल्ली न आने की क्या वजहें हों सकती हैं.अब आप सोच रहे होंगे कि क्या जिनपिंग के न आने से भारत पर या इस सम्मेलन के आयोजन पर कोई असर पड़ने वाला है तो इसका जवाब है, नहीं क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं है जब इस फोरम की बैठक में किसी देश का राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा न ले रहा हो. G-20 की स्थापना वर्ष 2008 में हुई थी. तब से लेकर अब तक कुल 16 शिखर सम्मेलन हो चुके हैं जबकि वर्ष 2020 में कोरोना की वजह से इसका आयोजन वर्चुअल तरीक़े से हुआ था.
अगर इन 16 बैठकों की ही बात करें तो वर्ष 2008, वर्ष 2009 और वर्ष 2010 के अलावा अब तक G-20 के जितने भी शिखर सम्मेलन हुए. उनमें एक भी बार ऐसा नहीं हुआ कि जब इस फोरम की बैठक में सभी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद रहे हों. जैसे वर्ष 2021 में जब इटली में G-20 का आयोजन हुआ तो 6 ऐसे देश थे, जिनके राष्ट्राध्यक्ष इस शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे. उनकी जगह दूसरी कतार के नेताओं ने हिस्सा लिया था. उस बैठक में नहीं शामिल होने वाले नेताओं में एक नाम शी जिनपिंग का भी था. यानी ऐसा पहली बार नहीं है, जब वो इस फोरम की बैठक से ग़ैर हाज़िर रहने वाले हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी इस फोरम की बैठक में शामिल नहीं हुए हैं. उन्होने न तो पिछले वर्ष इंडोनेशिया के बाली में हुई G-20 बैठक में हिस्सा लिया था और न ही इस बार वो भारत आ रहे हैं.
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DNA TV Show: चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का G-20 समिट से किनारा, भारत के बढ़ते कद से घबरा गया क्या चीन