उत्तराखंड का हल्द्वानी शहर गुरुवार को हिंसा में झुलस गया. इस हिंसा की वजह एक सरकारी जमीन पर धार्मिक प्रतिष्ठान का अवैध निर्माण था. इस हिंसा में 5 लोगों की मौत की खबर है, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. गुरुवार को पूरे 6 घंटे तक पत्थरबाजी, नारेबाज़ी, भगदड़ और लाठीचार्ज का दौर चलता रहा, शाम होते-होते, इस हिंसा ने आगजनी का रूप ले लिया था. कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए नौबत ये आ गई कि उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए थे. इस आदेश से ही आप अंदाजा लग सकते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड की शांति बचाने के लिए अधिकारियों को किस हद तक फैसले लेने पड़े.

आज इस हिंसा का डरावना परिणाम, लोगों को नजर आ रहा है. कल रात जो पत्थरबाजी और आगजनी हुई, आज उसके निशान नजर आ रहे हैं. अब सवाल ये है कि उत्तराखंड जो आमतौर पर एक शांत राज्य माना जाता है, वहां अचानक इतने बड़े पैमाने पर हिंसा कैसे शुरू हो गई? ये भी आप जानना चाहते होंगे कि आखिर वो कौन सा मामला था जिसने ये हालात पैदा कर दिए. आज के DNA TV Show में इसी की चर्चा की गई.

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क्यों हुआ हंगामा?
दरअसल, नगर निगम की टीम हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में एक सरकारी जमीन पर कब्जा छुड़ाने पहुंची थी. पिछले काफी समय से हल्द्वानी में एक मुहिम के तहत ऐसा किया जा रहा है लेकिन बनभूलपुरा में सरकारी जमीन पर कब्जा करके जो इमारत बनाई गई थी वह कोई आम इमारत नहीं थी. बताया जाता है कि यहां पर मस्जिद, मज़ार और मदरसा बना लिया गया था.

यानी सरकारी जमीन पर कब्जा करके, यहां के कुछ लोगों ने धार्मिक इमारत बना दी थी. शायद निर्माण करवाने वाले लोगों को लगा हो कि सरकारी जमीन पर ऐसा करने पर कोई पूछने नहीं आएगा और आगे चलकर इस कब्जे को हटाना मुश्किल हो जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. जिस जगह पर ये इमारत बनाई गई है, इस जगह पर पहले इलाके के मुस्लिम नमाज पढ़ने आते थे, फिर लोगों की संख्या बढ़ती गई और धीरे-धीरे ये सरकारी जमीन जो नमाज पढ़ने के काम में लाई जा रही थी. उस पर धार्मिक इमारत बना दी गई.

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नोटिस के बावजूद नहीं खाली की गई जगह
यह हिंसा जिस इमारत को तोड़ने को लेकर शुरू हुई, वह अवैध थी. वह कब्जा करके बनाई गई धार्मिक इमारत थी, जिसका टूटना तय था. जिन लोगों ने ये अवैध निर्माण किया था, उन्हें भी मालूम होगा कि वो लोग मस्जिद जैसी पवित्र जगह को, अवैध रूप से कब्जा करके बना रहे हैं. बावजूद इसके उन लोगों ने ऐसा किया. हमने आपको अवैध धार्मिक इमारत को खाली करने से जुड़े नोटिस की Exclusive कॉपी दिखाई है. इससे पता चलता है कि जिन लोगों ने ये अवैध निर्माण बनाया था, उन्हें भी मालूम था कि ऐसा कुछ होगा. उन्हें ये भी मालूम था कि 1 फरवरी तक उन्हें ये जमीन खाली करनी ही होगी. बावजूद इसके उन्होंने इसे खाली नहीं किया, बल्कि आसपास के लोगों को नगर निगम और कानून व्यवस्था के खिलाफ भड़काया.

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इस धार्मिक इमारत का संचालन करने वालों ने इस नोटिस का कोई सार्थक जवाब नहीं दिया. इस नोटिस के जवाब में संचालकों ने कोई कागज़ भी नहीं दिखाए, वो साबित नहीं कर पाए कि ये जमीन उन्हें किसी से दान में मिली है. वो यूं ही लोगों में भ्रम फैलाते रहे कि ये जगह एक मस्जिद या मदरसा है जबकि आपको हैरानी होगी कि ये जानकर कि उत्तराखंड के मदरसा बोर्ड में ये मदरसा रजिस्टर्ड ही नहीं है. इस अवैध इमारत को मदरसा भी बताया जा रहा है, जबकि मदरसा भी अवैध रूप से ही चल रहा था.

पहले से ही थी हमले की तैयारी?
1 फरवरी को ज़मीन खाली करने के नोटिस का पालन जब नहीं किया गया तो उसके पूरे 7 दिन बाद 8 फरवरी को नगर निगम ने पूरी योजना बनाकर, इस अवैध निर्माण को हटाने का काम शुरू किया लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि उनपर पथराव करने की योजना पहले से ही बना ली गई थी. स्थिति ये थी कि जब ये कार्रवाई हुई तो आसपास के घरों से पथराव किया गया, लोगों ने नगर निगम और पुलिस की टीम पर पत्थर फेंके. सिर्फ यही नहीं, पुलिसकर्मियों पर पेट्रोल बम भी फेंके गए. प्रशासन को भी अंदाजा नहीं था कि उन लोगों पर हमला सुनियोजित तरीके से किया जाएगा. ऐसा लग रहा था जैसे लोगों ने पहले से ही पत्थर या पेट्रोल बम जैसा सामान इकट्ठा करके रखा था.

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हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुई हिंसा को 24 घंटे बीत चुके है लेकिन हिंसा के निशान अब भी चारों तरफ बिखरे पड़े हैं. ये बनभूलपुरा का पुलिस स्टेशन है. जो अवैध मजहबी स्थल के विध्वंस के बाद भड़की हिंसा की भेंट चढ़ गया. उपद्रवियों ने थाने को फूंक डाला. जली हुई गाड़ियां, सड़कों पर पड़े पत्थर बता रहे हैं कि किस तरह यहां उपद्रवियों ने खूनी खेल खेला था. हम आगे बढ़ते गए और हिंसा के निशान कैमरे में कैद होते गए. उपद्रवियों ने पानी की बोतलों में पेट्रोल भरकर उसका बम की तरह इस्तेमाल किया.

पुलिस फोर्स को बनाया गया निशाना
हल्द्वानी में हुई हिंसा में 22 साल का अजय भी गंभीर रूप से जख्मी है. अजय को शरीर के निचले हिस्से में गोली लगी थी. किस्मत अच्छी थी जान बच गई लेकिन मां का रो रोकर बुरा हाल है. जिस वक्त हल्द्वानी नगर निगम की टीम अवैध मजहबी स्थल को हटा रही थी. उस वक्त पुलिस फोर्स भी मौजूद थी. उपद्रवियों ने घरों की छतों से पत्थराव फेंके जिसमें नीचे मौजूद पुलिस कांस्टेबल मनीष बिष्ट की नाक पर पत्थर आकर लगा. मनीष ने बताया कि उपद्रवियों ने कैसे उनकी जान लेने की कोशिश की.

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हल्द्वानी में अब स्थिति कंट्रोल में है लेकिन यहां की फिजा में अब भी तनाव है. जिस तरह से उपद्रवियों ने हिंसा को अंजाम दिया है उससे ये साफ है कि इसके पीछे एक साजिश थी जिसकी पड़ताल में अब एजेंसियां लगी हुई है. उत्तराखंड के हल्द्वानी में कल क्या हुआ ये आपने देखा. इसके बावजूद तौकीर रज़ा जैसे कुछ लोग सरेआम धमकी दे रहे है और कह रहे हैं कि अगर कोई हम पर हमलावर करेगा तो उसे जान से मार देंगे. तौकीर रज़ा ने कहा कि अब बुलडोजर को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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DNA TV Show: हल्द्वानी में 24 घंटे बाद भी हिंसा के निशान, अलर्ट पर प्रशासन
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