कैशकांड मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच तेज हो गई है. दिल्ली पुलिस की एक टीम जस्टिस वर्मा के बंगले पर पहुंची है. पुलिस ने उस जगह को सील कर दिया है, जहां अधजले नोट मिले थे. डीसीपी देवेश कुमार महला के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस की टीम ने करीब 2 घंटे तक घटना वाली जगह की जांच की. जस्टिस वर्मा के आवास पर 14 मार्च की रात को करीब 11 बजे आग लगी थी. इसमें घर के सामने के अलावा भारी संख्या में नोट जलने का वीडियो सामने आया था.

जस्टिस यशवंत वर्मा पर आरोप लगा कि उन्होंने लगभग 16 करोड़ रुपये घर के स्टोररूम में रखे हुए थे. इतनी भारी मात्रा में उनके पास नकदी कहां से आई, किसने दी? इसके लेकर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, जस्टिस वर्मा का कहना है कि यह पैसा उनका नहीं है. इस स्टोररूम में काफी लोग आते-जाते रहते थे. स्टोर में इतनी भारी संख्या में पैसा कहां से आया उनको नहीं पता.

इस मामले में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है. यह कमेटी मंगलवार को जस्टिस वर्मा के घर जांच करने पहुंची थी. तीन जजों की यह कमेटी करीब 45 मिनट तक वहां रुकी थी. इस दौरान उन्होंने उस स्टोररूम का जायजा लिया, जहां अधजले नोट मिले थे. कमेटी के साथ दिल्ली हाईकोर्ट के कुछ अधिकारी भी पहुंचे थे.

जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई में बेंच इस पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई है. याचिका में जल्द सुनवाई की मांग की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. याचिका में जस्टिस वर्मा के खिलाफ तुरंत FIR दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

क्या बोले सीजेआई संजीव खन्ना?

अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुम्परा ने CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ से आग्रह किया कि याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि यह व्यापक जनहित से संबंधित है. चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिका पर सुनवाई होगी. वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत ने सराहनीय काम किया है, लेकिन FIR दर्ज किए जाने की जरूरत है. इस पर सीजेआई ने कहा, 'सार्वजनिक बयानबाजी न करें.'

महाभियोग से हटाए जाते हैं जज

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर भारी मात्रा में कैश मिलने के बाद पूजा रहा है कि क्या उनकी जज की कुर्सी चली जाएगी? दरअसल, भारत में किसी जज को हटाना इतना आसान नहीं है. उसके खिलाफ संसद में महाभियोग लाया जाता है. महाभियोग का प्रस्ताव लोकसभा या राज्यसभा दोनों में से किसी भी सदन में दिया जा सकता है. लेकिन इसके लिए लोकसभा में कम से कम 100 सदस्यों और राज्यसभा के लिए कम से कम 50 सदस्यों के दस्तखत होने जरूरी होता है. संसद के दोनों सदनों प्रस्ताव पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. फिर राष्ट्रपति फाइनल मुहर लगाते हैं कि उस जज को हटाया जाए या नहीं.

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Delhi Police team reached house of Justice Yashwant Verma cash scandal investigate fire cash burned supreme court
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कैशकांड में क्या जस्टिस यशवंत वर्मा की जा सकती है कुर्सी?
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45 मिनट रुकी जजों की टीम, 2 घंटे की दिल्ली पुलिस ने जांच... क्या जस्टिस यशवंत वर्मा की कुर्सी पर मंडराया खतरा?

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