Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है. राजधानी और इसके आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता का स्तर लगातार बिगड़ रहा है, जिससे आम नागरिकों का जीवन मुश्किल में पड़ गया है. इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर आर्टिफिसियल बारिश (Cloud Seeding) करवाने की मांग की है. उन्होंने सभी संबंधित पक्षों की बैठक बुलाने की अपील की है ताकि इस संकट से निपटने के लिए आपातकालीन उपाय किए जा सकें.

जहरीली हुई दिल्ली की हवा 
पिछले कुछ दिनों से दिल्लीवासियों को लगातार धुंध का सामना करना पद रहा है. जिससे शहर की दृश्यता कम हो गई और लोगों को सांस लेने में भी कठिनाई हो रही है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 390 के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया, जिसे ‘बहुत खराब’ श्रेणी में माना जाता है. इस स्थिति से निपटने के लिए सीपीसीबी ने सोमवार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के दूसरे चरण को लागू कर दिया है, जिसके तहत कोयला, लकड़ी और डीजल जनरेटर के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है.

कृत्रिम बारिश की मांग 
दरअसल, गोपाल राय ने इससे पहले भी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को 30  अगस्त और 10 अक्टूबर को इसी मुद्दे पर पत्र लिखा था. उन्होंने अपने हालिया पत्र में दिल्ली की गंभीर वायु गुणवत्ता पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रदूषण की इस स्थिति को देखते हुए तत्काल राहत के लिए वैकल्पिक उपायों की जरूरत है. कृत्रिम बारिश के जरिए प्रदूषकों को वातावरण से हटाया जा सकता है, जिससे जनता को कुछ राहत मिल सके. गोपाल राय ने कहा कि वायु गुणवत्ता के खतरनाक स्तर पर पहुंचने से पहले ही इस समस्या का समाधान किया जाना चाहिए.

कृत्रिम बारिश के लिए आवश्यक अनुमति
हालांकि, क्लाउड सीडिंग जैसे उपायों को अमल में लाने के लिए कई सरकारी एजेंसियों से मंजूरी की आवश्यकता होती है, जिनमें रक्षा मंत्रालय, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण शामिल हैं. अपने लिखे गए पत्र में गोपाल राय ने सुझाव दिया कि इन सभी एजेंसियों को मिलाकर एक आपातकालीन बैठक बुलाई जाए ताकि इस मामले पर जल्द से जल्द कार्यवाही की जा सके.

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क्या होता है क्लाउड सीडिंग 
क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल बारिश करवाने के लिए किया जाता है. इसमें बादलों में कुछ खास तरह के रसायन जैसे सिल्वर आयोडाइड (Silver iodide) , सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस (कार्बन डाइऑक्साइड) छोड़े जाते हैं. इस केमिकल के छिड़काव के बाद बादल ईकट्ठा होने लगते हैं जिससे बारिश होने की संभावना बढ़ जाती है. हालांकि, क्लाउड सीडिंग का उपयोग तब किया जाता है जब बारिश की जरूरत हो, जैसे सूखा पड़ने पर या जल आपूर्ति को बढ़ाने के लिए. प्रदूषण नियंत्रण में इसका महत्व बढ़ता जा रहा है क्योंकि बारिश के माध्यम से वायुमंडल में मौजूद धूल, प्रदूषक तत्व और हानिकारक गैसें धरती पर गिर जाती हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है. मौजूदा हालात को देखते हुए क्लाउड सीडिंग प्रदूषण को कम करने का एक प्रभावी उपाय साबित हो सकता है.

दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण की जरूरत
दिल्ली सरकार ने 25 सितंबर से विंटर एक्शन प्लान लागू कर दिया है, जिसमें प्रदूषण को नियंत्रित करने के विभिन्न उपाय शामिल हैं। हालांकि, गोपाल राय ने यह स्पष्ट किया कि मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए ये उपाय पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने कहा, "हमारी प्राथमिकता है कि दिल्लीवासियों को प्रदूषण के बढ़ते संकट से बचाने के लिए तुरंत समाधान ढूंढा जाए. गौरतलब है कि, सूप्रीम कोर्ट के तरफ से भी लगातार सरकार पर प्रदूषण से निपटने के लिए  कई बार फटकार लग चुकी है. प्रदूषण का यह संकट एक गंभीर स्वास्थ्य आपातकाल बनता जा रहा है और आने वाले दिनों में और खराब हो सकता है. 

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delhi minister gopal rai letter to central govt cloud seeding artificial rain in delhi to reduce pollution
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Cloud Seeding: दिल्ली में आर्टिफिशियल बारिश की तैयारी, इसको लेकर मचा सियासी भूचा
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Cloud Seeding (Artificial Rain) In Delhi
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Cloud Seeding: दिल्ली में आर्टिफिशियल बारिश की तैयारी, इसको लेकर मचा सियासी भूचाल, जानें क्यों लिया जा रहा ये बड़ा फैसला
 

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