डीएनए हिंदी: एक गर्भवती महिला ने अपने ही एक रिश्तेदार को किडनैप कर लिया. अपहरण के आरोपों में उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया. मामला जब दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) तक पहुंचा तो अदालत ने महिला को जमानत दे दी. हाई कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21 (Article 21) का हवाला देते हुए कहा कि हर गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान गौरवपूर्ण जीवन का अधिकार है. इसी के आधार पर कोर्ट ने महिला को जमानत दी है कि वह अपने बच्चे को जेल के बाहर जन्म दें.
जस्टिस अनूप कुमार ने 20,000 रुपये का जमानती बॉन्ड भरने की शर्त पर आरोपी महिला काजल को 3 महीने की अंतरिम जमानत दी है. यह मामला साल 2021 में दिल्ली के राजौरी गार्डन थाने में दर्ज हुआ था. जस्टिस अनूप कुमार ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, 'संविधान हर गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान गौरवपूर्ण जीवन का अधिकार देता है. अदालत उस आने वाले बच्चे के अधिकारों को ध्यान में रख रही है क्योंकि उसे जेल में नहीं रखा जा सकता.'
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कानून भी देता है जमानत की इजाजत
कोर्ट ने कहा कि जब तक आरोपी की वजह से कोई बहुत बड़ा खतरा न पैदा हो रहा तो अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत दी जा सकती है. अदालत ने कहा कि गर्भावस्था ऐसी स्थिति है जो अपने-आप में बेहद खास है और गर्भवती महिला को जेल में रखकर उसके बच्चे को यातना नहीं दी जा सकती. सीआरपीसी की धारा 437 (1) भी कहती है कि आरोपी के 16 साल के कम होने या महिला होने या बीमार होने की स्थिति में जमानत दी जा सकती है.
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इससे पहले आरोपी काजल ने याचिका दायर करके 6 महीन की अतंरिम जमानत की मांग की थी. अपहरण के इस मामले में 16 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. जिसमें से 3 अभी भी फरार हैं और दो लोगों को गिरफ्तार नहीं किया गया है लेकिन उनके खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी गई है.
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Kidnapping के आरोप में जेल में बंद थी गर्भवती महिला, दिल्ली हाई कोर्ट ने फिर भी दे दी जमानत