डीएनए हिंदी: दिल्ली के लोगों को शनिवार से मुफ्त बिजली नहीं मिलेगी. केजरीवाल सरकार ने शुक्रवार को बिजली सब्सिडी को खत्म करने का ऐलान किया है. दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने हमारे इस फैसले से 46 लाख से ज्यादा परिवारों को मिल रही बिजली सब्सिडी पर असर पड़ने वाला है. अतिशी ने इसके लिए दिल्ली के राज्यपाल वीके सक्सेना को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि सरकार कैबिनेट बिजली सब्सिडी की फाइल LG के पास भेजी थी, लेकिन उन्होंने अभी तक बिजली सब्सिडी की फाइल को पास नहीं किया है.
आतिशी ने कहा कि मजबूरी में दिल्ली सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों को समय पर सब्सिडी का पैसा नहीं मिल पाएगा, इसलिए कल से जो बिल काउंट होगा, वो बिना सब्सिडी के होगा.' केजरीवाल सरकार के इस फैसले से 46 लाख परिवारों, किसानों, वकीलों और 1984 दंगा पीड़ितों को मिलने वाली फ्री बिजली भी बंद हो जाएगी. अब सवाल ये है कि आखिरी मामला है क्या? एलजी इस फाइल क्यों पास नहीं करना चाहते?
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LG फाइल को क्यों नहीं करना चाहते पास
दरअसल, दिल्ली उपराज्यपाल वीके सक्सेना का कहना है कि अरविंद केजरीवाल सरकार को सब्सिडी के रूप में बिजली कंपनियों को दिए जाने वाले 13,549 करोड़ रुपये का ऑडिट नहीं कराया है. जबकि सरकार को हर साल इस सब्सिडी के पैसा का ऑडिट कराना चाहिए, ताकि बिजली सब्सिडी में अगर कहीं भी चोरी हो तो उसे रोका जा सके. एलजी विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 लागू नहीं करने को लेकर भी दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए रहे हैं. इस अधिनियम के तहत दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन(DERC) द्वारा बिजली कंपनियों का ऑडिट कराना अनिवार्य होता है. एलजी का कहना है कि दिल्ली सरकार चोरी को छुपाने के लिए ऑडिट कराने से बचना चाहती है.
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उपराज्यपाल का कहना है कि मुझे इस बात की आपत्ति है कि जनता का 13,549 करोड़ रुपये का पिछले 6 साल से ऑडिट नहीं किया गया है. इतने अधिक सार्वजनिक धन को बिना किसी ठोस जांच के गरीबों के लिए तय की गई यह सब्सिडी उन तक पहुंच रही है या नहीं यह कैसे पता चलेगा. एलजी का कहना है कि सरकार की फाइल को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा कि वह सिर्फ बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाना चाहती है.
मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित
एलजी की इस बात पर आपत्ति है कि बिजली कंपनियों के खाते का कैग से ऑडिट कराने संबंधित मामला पिछले 7 साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. सक्सेना ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार ने जो फाइल भेजी है उसमें किसी भी तरह से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को जल्दी सुलझाने की सरकार की कोई मंशा नहीं दिख रही.
गौरतलब है कि 2015 में दिल्ली हाईकोर्ट ने बिजली कंपनियों के कैग द्वारा ऑडिट कराने के केजरीवाल सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया था. दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को 2016 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. तब से यह मामला सर्वोच्च अदालत में लंबित है.
वहीं, केजरीवाल सरकार का कहना हैं कि एलजी ऑडिट के बहाने दिल्ली की जनता को मिल रही इस सुविधा को रोकना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस संभावित सांठगांठ जिसकी वजह से दिल्ली के लोगों को मिल रही फ्री बिजली पर खतरा हो रहा है. सीएम केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली के सभी बिजली कंपनियों का CAG के पैनल में शामिल ऑडिटरों द्वारा विशेष ऑडिट जाए.
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केजरीवाल सरकार ने 46 लाख परिवारों की क्यों की 'बत्ती गुल'? जानिए क्या है LG से टकराव की पूरी वजह