मध्य प्रदेश की 29 (Madhya Pradesh) लोकसभा सीटों में से 28 पर 2019 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. प्रदेश की दमोह लोकसभा सीट 1989 से ही लगातार बीजेपी जीतते आ रही है. यह पार्टी के लिए अब सेफ सीट बन चुकी है. जातिगत समीकरणों के लिहाज से भी ये सीट महत्वपूर्ण है. यहां लोध और कुर्मी जातियों का वोट बैंक है. इस बार बीजेपी (BJP) ने लोध समुदाय के प्रत्याशी को उतारा है और कांग्रेस ने भी वोट बैंक को देखते हुए इसी समुदाय से उम्मीदवार को उतारा है. इस बार बीजेपी ने दो बार सांसद रहे प्रह्लाद पटेल के बजाय इस बार राहुल लोधी को टिकट दिया है.
कांग्रेस बनाम कांग्रेस का रहेगा मुकाबला
बीजेपी ने इस बार उम्मीदवार बदलते हुए राहुल लोधी को यहां से उतारा है. राहुल 2020 में ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. दूसरी ओर कांग्रेस ने भी तरवर सिंह लोधी को उतारा है. 2020 तक दोनों एक साथ कांग्रेस के लिए काम किया करते थे और दोनों कांग्रेस के पूर्व विधायक रह चुके हैं. हालांकि, अब लोकसभा चुनाव में दोनों एक-दूसरे से मुकाबला करेंगे. दमोह की 8 विधानसभा सीटों में से 7 पर बीजेपी का कब्जा है.
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जातिगत समीकरण हैं महत्वपूर्ण
दमोह की इस सीट पर कुर्मी और लोध वोट बैंक ही निर्णायक की भूमिका में है. जातिगत समीकरणों को देखते हुए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने लोधी उम्मीदवार उतारा है. प्रदेश और केंद्र दोनों ही जगह सत्ता पर बीजेपी है और राहुल लोधी के पास मोदी सरकार की गारंटी और लाभार्थी योजनाएं हैं. दूसरी ओर कांग्रेस उम्मीदवार बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे उठा रहे हैं. चुनाव नतीजे काफी हद तक जातीय समीकरणों के मुताबिक मिलने वाले वोट पर ही निर्भर करेगा.
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दमोह लोकसभा सीट में आठ विधानसभा आती हैं जिनमें देवी, रहली, बांडा, मलहरा, पथरिया, दमोह, जबेरा, हटा शामिल है. इन सभी विधानसभा सीटों में सिर्फ एक सीट को छोड़कर सभी पर बीजेपी का कब्जा है. बुंदलेखंड से सटे होने की वजह से इस इलाके में सूखा, पानी जैसे मुद्दे गंभीर हैं.
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जातिगत समीकरणों को साधने में कामयाब रहेगी बीजेपी या कांग्रेस पलटेगी खेल?