डीएनए हिंदी: भारत ने 17 जुलाई को नया इतिहास रचा है. देश में 200 करोड़ कोविड वैक्सीन की डोज लोगों को दी जा चुकी है. 18 महीनों से देश में वैक्सीनेशन मिशन अपने फुल रफ्तार से चल रहा है. टीकाकरण के इस महामिशन में वैक्सीन की पहली खुराक, दूसरी खुराक और बूस्टर डोज जिसे प्रिकॉशन डोज भी कहा जाता है, शामिल है.
देश की करीब 9 करोड़ की आबादी को वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं लगी है. 92 फीसदी आबादी ने बूस्टर खुराक नहीं ली है. आइए समझते हैं कि कोविड पर क्या कहते हैं राज्यों के अलग-अलग आंकड़े?
6.9 करोड़ लोगों को नहीं लगी वैक्सीन की दूसरी खुराक
देश की 6.9 फीसदी आबादी ऐसी है जिसने वैक्सीन की दूसरी खुराक नहीं ली है. यह संख्या कुल आबादी का 7.5 फीसदी हिस्सा है.
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देश की युवा आबादी सबसे लापरवाह
वैक्सीन लगवाने में देश की युवा आबादी सबसे लापरवाह है. 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों में करीब 5.3 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने वैक्सीन की दूसरी खुराक नहीं ली है. पहली और दूसरी खुराक लेने वाले लोगों के बीच का अंतर 9.5 फीसदी है. वहीं दूसरी और 45-59 आयुवर्ग और 60 से ज्यादा आयु वालों में ये अंतर 5 प्रतिशत से कम है. 45-59 आयुवर्ग में जहां 90 लाख लोगों ने दूसरी वैक्सीन नहीं ली है, वहीं 60 से ज्यादा आयुवर्ग में भी 58 लाख से ज्यादा बुजुर्गों ने दूसरी वैक्सीन से दूरी बनाई हुई है.
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कोविड के खिलाफ जंग में फ्रंट लाइन वर्कर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स के संक्रमित होने की सबसे ज्यादा आशंका होती है. हैरानी की बात यह है कि इस आयुवर्ग में भी कुल 11 लाख से ज्यादा लोगों ने दूसरी डोज नहीं ली है.
महाराष्ट्र और झारखंड का क्या है हाल?
कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज लेने वाले राज्यों की स्थिति कई राज्यों में खराब है. देश के करीब 23 राज्य औसत से नीचे चल रहे हैं. पूर्वोत्तर के अधिकतर राज्यों के साथ-साथ झारखंड की स्थिति भी ठीक नहीं है. दूसरे डोज की दर 28.3 फीसदी से भी कम है.
महाराष्ट्र में भी अभी करीब 1.59 करोड़ लोगों दूसरी डोज नहीं दी गई है. संख्या के हिसाब से उत्तर प्रदेश इस सूची में दूसरे स्थान पर आता है जहां 1.16 करोड़ लोगों ने दूसरी वैक्सीन नहीं ली है. प्रतिशत के आधार पर इसका प्रदर्शन कई बड़े राज्यों से बेहतर है. इसके अलावा राजस्थान में 70 लाख, बिहार में 88 लाख, तमिलनाडु में 65 लाख और पश्चिम बंगाल में 75 लाख लोग भी पूरी तरह से वैक्सीनेटेड नहीं हैं. अच्छी स्थिति वाले बड़े राज्यों में गुजरात और कर्नाटक शुमार हैं. यहां पहली और दूसरी कोविड वैक्सीन की डोज के बीच अंतर 1.3 और 1.2 प्रतिशत है.
दूसरी डोज लेने वालों की संख्या पहली डोज से ज्यादा कैसे?
कोविड वैक्सीन के सरकारी आकड़ों को https://dashboard.cowin.gov.in/ वेबसाइट पर देख सकते हैं. आंकड़ों के मुताबिक आंध्र प्रदेश और जम्मू कश्मीर में दूसरी डोज लेने वालों की संख्या पहली डोज वालों से ज्यादा है. यह तकनीकी रूप से संभव नहीं है. आंध्र प्रदेश में दूसरी डोज लेने वालों की संख्या पहली डोज लेने वालों से 29 लाख ज्यादा है. वहीं जम्मू कश्मीर में भी 2 लाख से ज्यादा लोगों को दूसरी डोज मिल गई है.
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92 प्रतिशत पात्र लोग बूस्टर डोज से दूर
बूस्टर डोज के मामले में अभी देश के 92 प्रतिशत पात्र लोगों ने ही वैक्सीन ली है.इसके अलावा FCWs और HCWs के 38.1 प्रतिशत और 42.4 प्रतिशत लोग अभी बूस्टर वैक्सीन से दूर हैं. इसके अलावा 18-44 आयुवर्ग में बूस्टर डोज लेने वालों की संख्या 1 प्रतिशत से भी कम है. वहीं 45-60 आयु वर्ग में 2 प्रतिशत से कम पात्र लोगों ने बूस्टर डोज ली है. वहीं देश के बुजुर्गों (60 साल से ज्यादा आयुवर्ग) में भी महज 22 प्रतिशत लोगों ने ही बूस्टर या प्रीकॉशन डोज की सुरक्षा पाई है. सरकार ने बूस्टर डोज फ्री किया है ऐसे में टीकाकरण के और तेज होने की संभावना है.
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कोविड वैक्सीन लगवाने में युवा आबादी सबसे लापरवाह, क्या कहते हैं स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े?