डीएनए हिंदी: कांग्रेस (Congress) में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर अब तक सस्पेंस बना हुआ है. यह चुनावी लड़ाई अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) बनाम शशि थरूर (Shashi Tharoor) के बीच होने वाली थी लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शशि थरूर और पवन बंसल (Pawan Bansal) ने ही नामांकन फॉर्म लिए हैं. किसी और नेता का नाम नहीं सामने आ रहा है लेकिन अटकलें ही लगाई जा रही हैं. 30 सितंबर को नामांकन का आखिरी दिन है लेकिन अलाकमान किसी एक नाम पर सहमत ही नहीं हो पा रहा है. राहुल गांधी और सोनिया गांधी की राय किसी एक नेता पर एकमत नहीं है.
सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) अब चाहती हैं कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी अध्यक्ष का पद संभालें. कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की राय इससे अलग है. भले ही नामांकन न किया हो लेकिन अध्यक्ष पद की रेस में अब कुमारी शैलजा और मीरा कुमार का नाम भी सामने आ रहा है वहीं राहुल गांधी चाहते हैं कि केसी वेणुगोपाल अध्यक्ष पद संभालें. केसी वेणुगोपाल कांग्रेस के लिए हर स्थिति में संकटमोचक की तरह रहे हैं. जो काम पहले अहमद पटेल के जिम्मे था, उसे बाखूबी केसी वेणुगोपाल संभाल रहे हैं.
मध्य प्रदेश, गोवा से लेकर राजस्थान और झारखंड तक जब-जब पार्टी सियासी सकंट से जूझी तब-तब केसी वेणुगोपाल सक्रिय होकर पार्टी को बचाने की कोशिशों में जुटे. राहुल गांधी चाहते हैं कि उनकी इस मेहनत के बदले उन्हें अध्यक्ष पद सौंपा जाए लेकिन सोनिया गांधी इससे सहमत नहीं हैं.
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पवन बंसल नहीं लड़ रहे हैं चुनाव
कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल ने केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण से नामांकन पत्र लिया है. सूत्रों का कहना है कि वह नामांकन दाखिल नहीं करेंगे. पवन बंसल खुद कह चुके हैं कि वह केवल एक प्रस्तावक हैं, उम्मीदवार नहीं. सीईए के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने कहा, अब तक शशि थरूर और पवन बंसल ने सीईए से नामांकन फॉर्म लिया है.
क्या प्लान बी तैयार कर रही है कांग्रेस?
सोनिया गांधी चाहती थीं कि पार्टी के पुराने भरोसेमंद नेता कमलनाथ अध्यक्ष पद संभालें. उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात कर कहा कि वह नहीं चाहते कि पार्टी अध्यक्ष का पद उन्हें मिले. कमलनाथ ने कहा कि वह केवल मध्य प्रदेश की राजनीति करना चाहते हैं. अब अशोक गहलोत पर अध्यक्ष पद संभालने के लिए कांग्रेस अलाकमान दबाव भी नहीं बना सकती हैं क्योंकि राजस्थान में उनके समर्थक विधायकों ने खेल बिगाड़ दिया है. उनके विधायक कांग्रेस अध्यक्ष से बगावत कर बैठे हैं.
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राजस्थान गए कांग्रेस के पर्यवेक्षकों ने घोर अनुशासनहीनता के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी तीन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की और इसके कुछ देर बाद ही पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति की ओर से इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया. अब कांग्रेस प्लान बी तैयार कर रही है जिस पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों सहमत हो सकें.
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राहुल गांधी की मर्जी से नहीं चुना जाएगा कांग्रेस अध्यक्ष, क्या है वजह?