लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में बीजेपी के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्य के बीच तल्खी खुलकर बाहर आने लगी है. दोनों ही नेता एक-दूसरे पर तंज कसने से नहीं चूक रहे हैं. यूपी विधानसभा का सत्र शुरू होते ही सोमवार सुबह योगी और मौर्य साथ-साथ नजर आए थे, लेकिन शाम होते-होते दोनों के सुर बदल गए.
बीजेपी की ओबीसी कार्यसमिति की बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि केवल सरकार के बल पर चुनाव नहीं जीता जा सकता. पार्टी चुनाव लड़ती है और पार्टी ही चुनाव जीतती है. उन्होंने कहा कि हम अति आत्मविश्वास की वजह से हारे. जाहिर है मौर्य का इशारा सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर था.
ओबीसी कार्यसमिति की इस बैठक में सीएम योगी के अलावा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को एकसाथ मंच पर रहना था. लेकिन योगी के पहुंचने से पहले ही दोनों डिप्टी सीएम निकल गए, जिसके बाद योगी और मौर्य की बीच के टकराव की चर्चाएं और तेज हो गईं.
CM योगी ने दिया जवाब
ओबीसी कार्यसमिति की बैठक में सीएम योगी ने आरक्षण के मुद्दे पर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि वो लोग सवाल उठा रहे हैं, जिनकी सरकार में 86 में से 56 एक ही जाति के लोगों को नौकरी मिली थी. दरअसल, सपा सरकार में यूपी में 86 एसडीएम की नियुक्ति हुई थी. इन 86 में से 56 सिर्फ एक ही जाति के लोग थे. योगी ने कहा कि आरोप लगाने वाले भूल जाते हैं कि हमने पिछले 7 साल में 6.50 लाख सरकारी भर्तियां कीं. इसमें 60 प्रतिशत ओबीसी समाज के लोग थे.
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योगी ने विपक्ष के साथ-साथ पार्टी के भीतर ओबीसी आरक्षण को लेकर सवाल उठा रहे नेताओं को भी जवाब दिया. हाल ही में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सरकारी और आउटसोर्सिंग नौकरियों में आरक्षण की अनदेखी को लेकर सीएम योगी के विभाग को पत्र लिखा था. दिल्ली से लौटने के बाद ऐसा लग रहा था कि दोनों नेताओं के बीच समझौता हो गया है. लेकिन यह टकराव अभी खत्म नहीं हुआ है.
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सुबह साथ तो शाम को खिलाफ... यूपी में CM योगी और केशव प्रसाद मौर्य के बीच क्या चल रहा?