भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने दो साल के कार्यकाल को संतोषजनक बताते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ किया, चाहे परिणाम कुछ भी रहे हों. उन्होंने कहा कि एक न्यायिक अधिकारी के रूप में जब तक आप अपने इरादों और क्षमताओं पर विश्वास रखते हैं, तब तक परिणामों की चिंता किए बिना काम करना आसान हो जाता है.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल अगले महीने समाप्त हो रहा है. रिटायरमेंट से पहले, उन्होंने अपने बीते समय और आने वाले भविष्य को लेकर कई शंकाएं जाहिर की हैं. उन्होंने कहा कि वे अकसर सोचते हैं कि क्या न्यायपालिका में उन्होंने वह सब हासिल कर लिया जो उन्होंने सोचा था. उनके लिए यह एक बड़ा सवाल है कि इतिहास उनके कार्यकाल को किस नजर से देखेगा. लेकिन उन्होंने माना कि इन सवालों के जवाब उनके बस में नहीं हैं और शायद वे कभी भी इसका समाधान नहीं पा सकेंगे.

पारंपरिक मूल्यों का सम्मान जरूरी

अपने भाषण के दौरान, सीजेआई चंद्रचूड़ ने पारंपरिक मूल्यों का सम्मान करने की आवश्यकता पर भी जोड़ दिया. उन्होंने कहा कि भारत और भूटान जैसे देशों की न्याय व्यवस्था की नींव पारंपरिक सामुदायिक तंत्रों पर आधारित रही है और इन्हें आधुनिक संवैधानिक सिद्धांतों के साथ समन्वय करना जरूरी है. उन्होंने पश्चिमी देशों की मानवाधिकारों की परिभाषा की आलोचना करते हुए कहा कि वे अक्सर व्यक्तिगत अधिकारों को सर्वोपरि मानते हैं, जो कई बार हमारे न्याय के मूल्यों से मेल नहीं खाती.

भूटान के पर्यावरण संरक्षण को सराहा

दरअसल, सीजेआई चंद्रचूड़ भूटान के जिग्मे सिंग्ये वांगचुक स्कूल ऑफ लॉ के तीसरे दीक्षांत समारोह में भाग ले रहे थे. इस कार्यक्रम में भूटान की राजकुमारी सोनम देचन वांगचुक सहित कई गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे. सीजेआई ने समारोह के दौरान भूटान के पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पण की प्रशंसा भी की. उन्होंने कहा कि भूटान का पर्यावरण को लेकर  दृष्टिकोण बाकी देशों के लिए प्रेरणा है. साथ ही, उन्होंने भारत में पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए संवेदनशील और प्रशिक्षित वकीलों की आवश्यकता पर जोर दिया.

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विवाद से हल नहीं 

चंद्रचूड़ ने अपने संबोधन में कहा कि कानून सिर्फ विवादों को हल करने का माध्यम नहीं है बल्कि इसे सामाजिक परिवर्तन के रूप में देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक मजबूत न्यायिक प्रणाली तब तक सफल नहीं हो सकती, जब तक वह समाज की आवश्यकताओं को समझते हुए संवेदनशीलता और समानता के सिद्धांतों पर काम न करे. इस प्रकार, सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने संबोधन में न्याय प्रणाली के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करते हुए पारंपरिक और आधुनिक न्याय सिद्धांतों के संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया.

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chief justice of india dy chandrachud raised concerned about tenure before retirement read supreme court news
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रिटायरमेंट से पहले CJI चंद्रचूड़ ने खोला दिल का राज, जानें उन्हें किस बात की है
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रिटायरमेंट से पहले CJI चंद्रचूड़ ने खोला दिल का राज, जानें उन्हें सताई क्या चिंता?

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