छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (High Court) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि शव के साथ रेप करना विकृत मानसिकता है. इसे जघन्य अपराध माना जाना चाहिए. इसे रेप के अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है. हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद नेक्रोफिलिया की एक बार फिर से चर्चा होने लगी है. यह एक तरह की ऐसी विकृति है जिसमें अपराधी मृत शरीर के साथ यौन संबंध स्थापित करता है. मामला 9 साल की बच्ची के अपहरण और रेप से जुड़ा है. आरोपियों ने बच्ची की हत्या करने के बाद भी रेप करने की बात कबूल की थी.
9 साल की बच्ची के अपहरण और रेप से जुड़ा मामला
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने यह अहम टिप्पणी 6 साल की बच्ची के साथ अपहरण और रेप के बाद हत्या से जुड़े मामले में की है. घटना 18 अक्टूबर 2018 की है. 9 साल की मासूम का शव गरियाबंद के सुनसान इलाके में मिला था. पुलिस ने आरोपी नितिन यादव और नीलकंठ उर्फ नीलू नागेश को अरेस्ट किया था. आरोपी नीलकंठ ने पुलिस की पूछताछ में कबूल किया था कि उसने बच्ची के शव के साथ भी रेप किया है.
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निचली अदालत ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा
ट्रायल कोर्ट से दोनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी है. हालांकि, हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि भारतीय कानून में शव के साथ रेप के लिए दंड का प्रावधान नहीं है. इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जाता है.
मृतक बच्ची की मां ने सजा बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दी थी. कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि शव के साथ रेप घृणित और जघन्य है. इसे भारतीय कानून के मुताबिक रेप की तरह अपराध नहीं माना जा सकता है. कोर्ट ने आरोपी को नेक्रोफीलिया से बरी करते हुए बाकी सभी अपराध के लिए दोषी करार दिया है.
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ High Court का बड़ा फैसला, 'शव के साथ यौन संबंध बनाना रेप नहीं'