भारत के घरों में पाने से लेकर हर कामकाज के लिए भूजल का इस्तेमाल किया जाता है. हाल ही में एक रिपोर्ट में पाया गया कि भूजल में अधिक मात्रा में नाइट्रेट पाया गया है. केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी. बोर्ड ने जांच किए गए नमूनों में पाया कि 20 प्रतिशत में 'नाइट्रेट' का कंसंट्रेशन सीमा से अधिक है. 'नाइट्रेट' का अधिक मात्रा में पाया जाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है.
क्या कहता है सर्वे
Yearly Groundwater Quality रिपोर्ट - 2024 से यह भी पता चला कि 9.04 प्रतिशत नमूनों में 'फ्लोराइड' का स्तर भी सुरक्षित सीमा से ज्यादा था, जबकि 3.55 प्रतिशत नमूनों में 'आर्सेनिक' कंटामिनेशन पाया गया. आपको बता दें कि मई 2023 में ग्राउंडवाटर की गुणवत्ता की जांच के लिए देशभर में कुल 15,259 निगरानी स्थानों को चुना गया था.
किन जगहों पर कितना है कंसंट्रेशन
राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु में 40 प्रतिशत से अधिक नमूनों में नाइट्रेट सीमा से ऊपर था, जबकि महाराष्ट्र के नमूनों में कंटामिनेशन 35.74 प्रतिशत, तेलंगाना में 27.48 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 23.5 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 22.58 प्रतिशत था. वहीं, उत्तर प्रदेश, केरल, झारखंड और बिहार में कंटामिनेशन का प्रतिशत कम पाया गया और अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में सभी नमूने सुरक्षित सीमा के अंदर थे.
CGWB ने कहा कि, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में 'नाइट्रेट' का स्तर 2015 से स्थिर बना हुआ है. हालांकि, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में 2017 से 2023 तक कंटामिनेशन में बढ़ोतरी देखी गई है. बता दें लगातार, नाइट्रेट लेवल वाला पानी पीने से आपको कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. फ्लोराइड के कंटामिनेशन से फ्लोरोसिस और आर्सेनिक के संदूषण से कैंसर या फिर चर्म रोग हो सकता है.
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Groundwater Quality: केंद्र की रिपोर्ट में हुआ चौकाने वाला खुलासा, देश के 440 जिलों में बोरिंग का पानी सेहत के लिए खतरनाक