दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं की तस्वीर पेश करने वाली कैग (CAG) की रिपोर्ट ने राजधानी की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है. मोहल्ला क्लीनिक, डिस्पेंसरी और सरकारी अस्पतालों में जरूरी सुविधाओं की भारी कमी पाई गई है. रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक में थर्मामीटर, ब्लड प्रेशर मशीन और ग्लूकोमीटर जैसे सामान्य उपकरण तक उपलब्ध नहीं हैं. मरीजों को औसतन एक मिनट से भी कम समय दिया जाता है और कई बार बिना जांच के ही दवाएं थमा दी जाती हैं.
मोहल्ला क्लीनिक के दावे खोखले
मार्च 2017 तक दिल्ली में 1,000 मोहल्ला क्लीनिक बनने थे, लेकिन मार्च 2023 तक केवल 523 क्लीनिक ही खुले. इनमें से भी सिर्फ 31 क्लीनिक शाम की पाली में चल रहे हैं. रिपोर्ट में 218 मोहल्ला क्लीनिकों का ऑडिट किया गया, जिसमें 53% क्लीनिकों में 75% से भी कम जरूरी दवाएं उपलब्ध पाई गईं.
अस्पतालों में भी बुनियादी सुविधाओं की कमी
रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली के 14 सरकारी अस्पतालों में आईसीयू की सुविधा नहीं है, जबकि 12 अस्पतालों में एम्बुलेंस तक उपलब्ध नहीं है. 2016-17 से 2020-21 के बीच सरकार ने 32,000 नए बेड जोड़ने का वादा किया था, लेकिन केवल 1,357 बेड ही जोड़े गए.
फंड का सही इस्तेमाल नहीं
स्वास्थ्य कर्मचारियों की भर्ती और वेतन के लिए मिले 52 करोड़ रुपये में से 30.52 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए. वहीं, मेडिकल सप्लाई के लिए आवंटित 119.85 करोड़ रुपये में से 83.14 करोड़ रुपये बिना खर्च पड़े रह गए.
देरी और बढ़ती लागत
दिल्ली में तीन नए अस्पतालों की परियोजनाएं पांच से छह साल की देरी से पूरी हुईं, जिससे लागत भी बढ़ गई. कैग की रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मॉडल के दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक से लेकर सरकारी अस्पतालों तक मरीजों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी जूझना पड़ रहा है.
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Mohalla Clinic CAG Report
मोहल्ला क्लीनिक में थर्मामीटर नदारद, अस्पतालों में एम्बुलेंस भी नहीं, CAG रिपोर्ट में दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल