डीएनए हिंदी: कहते हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है. उम्र के जिस दौर में आप नई शुरुआत करना चाहें तो वाकई कर सकते हैं और बात पढ़ाई की हो, तो शिक्षित होने के लिए हर उम्र ठीक है. तभी को कहा जाता है कि

जरूरी नहीं कि रोशनी चिरागों से ही हो, शिक्षा से भी घर रोशन होते हैं 
यानि शिक्षा की रोशनी ऐसी रोशनी है, जो अंधेरे में भी रास्ता दिखा सकती है. 

बुलंदशहर की रहने वाली बयानवें वर्ष की सलीमन अम्मा इस बात को भलीभांति समझती हैं. शायद इसलिए वो उम्र के इस पड़ाव में भी भारत सरकार के साक्षरता अभियान से जुड़ीं और साक्षर बनीं. सलीमन अम्मा न केवल बैसाखी का सहारा लेकर, नव भारत साक्षर परीक्षा केंद्र पहुंचीं, बल्कि उन्होंने कांपते हाथों से परीक्षा में हिस्सा भी लिया. उनकी कहानी ऐसे सभी लोगों के लिए मिसाल है, जो बचपन में नहीं पढ़ सके लेकिन अब शुरुआत करना चाहते हैं. 

यह भी पढ़ें: मुगल हरम में रहने वाली महिलाएं थीं खूब शातिर, पैसे कमाने के लिए करती थीं ये हथकंडा 

DNA TV Show में उनकी कहानी के बारे में बताया गया जिसे जानकर भारत के हर नागरिक को गर्व बोगा. सलीमन अम्मा बचपन से पढ़ना चाहती थीं, लेकिन परिवार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.  14 वर्ष की छोटी उम्र में सलीमन का निकाह कर दिया गया. फिर वो घरबार में ऐसे उलझीं की पढ़ने का उनका सपना चकनाचूर हो गया लेकिन अब सलीमन अम्मा पढ़ सकती हैं. न सिर्फ उन्होंने उम्र के इस दौर में अपनी पढ़ाई शुरू की बल्कि वह पूरे उत्साह से परीक्षा ङी देती थीं. 

भारत साक्षऱ अभियान के तहत की पढ़ाई
एक वक्त था जब सलीमन पैसों का हिसाब भी नहीं कर पाती थी लेकिन नव भारत साक्षर अभियान ने अब उन्हें गिनती गिनने लायक साक्षर बना दिया है. इसके अलावा, अब वह अपने हस्ताक्षर समेत अक्षरों को पहचान और लिख सकती हैं. किसी भी समाज की तरक्की मापने का आधार महिलाओं की साक्षरता दर मानी जाती है. सलीमन अम्मा की पढ़ने के लिए ललक बदलते भारत की तस्वीर भी कही जा सकती हैं जहां वह बुढ़ापे में बस आराम नहीं करना चाहती हैं, बल्कि पढ़ना-लिखना चाहती हैं.

यह भी पढ़ें: बस कुछ समय और फिर ये होगा माउंट ऐवरेस्ट का खौफनाक नजारा

परीक्षा देने के लिए भी पहुंची अम्मा
बुलंदशहर में नव साक्षर परीक्षा आयोजित कराई गई थी. इसमें सलीमन अम्मा ने भी कांपते हाथों से पेंसिल थामी और सवालों के जवाब दिए थे. परीक्षा में चित्र आधारित सवाल पूछे गए जिनका सलीमन अम्मा ने सही जवाब दिया.  सच ही है कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती है.  इंसान किसी भी उम्र में पढ़कर साक्षर बन सकता है. 92 वर्ष की सलीमन अम्मा ने भी ये साबित कर दिखाया है. उनकी कहानी बदलते भारत के हर नागरिक के लिए प्रेरणा है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
bulandshahr 92 year old woman attends primary school and passed literacy test dna tv show
Short Title
DNA TV Show: 92 साल की उम्र में गजब जज्बा, स्कूल जाकर कर रहीं पढ़ाई
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Saliman Amma
Caption

Saliman Amma

Date updated
Date published
Home Title

DNA TV Show: 92 साल की उम्र में गजब जज्बा, स्कूल जाकर कर रहीं पढ़ाई

 

Word Count
492