Mumbai News: बंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने सोमवार को दो 19 वर्षीय युवकों के खिलाफ दिए गए एक अहम फैसले में उन्हें पीछा करने के आरोप से बरी कर दिया. जबकि छेड़छाड़ के आरोप में एक आरोपी की सजा को बरकरार रखी गई. यह मामला 2020 का है, जब 14 वर्षीय एक लड़की के साथ छेड़छाड़ और पीछा करने के आरोप में दोनों युवकों को दोषी ठहराया गया था.

क्या था पूरा मामला?
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, दोनों युवकों ने लड़की का पीछा किया. उनमें से एक ने लड़की से कहा कि वह उससे शादी करना चाहता है. लड़की ने यह बात अपनी मां को बताई, जिन्होंने आरोपियों के परिवार से शिकायत की। लेकिन कुछ दिन बाद, एक आरोपी पीड़िता के घर पहुंचा और उससे छेड़छाड़ की. 2022 में, अकोला की सत्र अदालत ने दोनों सख्श को दोषी ठहराते हुए छेड़छाड़ के लिए 5 साल और पीछा करने के लिए 3 साल की सजा सुनाई थी.

कोर्ट का तर्क
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि "पीछा करने के अपराध को साबित करने के लिए यह दिखाना होगा कि आरोपी ने बार-बार या लगातार किसी का पीछा किया, उसे देखा या संपर्क किया।" एक बार पीछा करने की घटना को इस अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता.


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सजा में बदलाव
न्यायमूर्ति जी ए सनप ने अपने निर्णय में कहा कि छेड़छाड़ के मामले में आरोपी को दोषी ठहराना सही है, लेकिन पीछा करने के मामले में सत्र अदालत का फैसला उचित नहीं था. उन्होंने छेड़छाड़ के लिए दी गई पांच साल की सजा को घटाकर उस अवधि तक कर दिया, जो आरोपी ने गिरफ्तारी के बाद जेल में बिताई है.

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Bombay High Court big statement following girl not always crime know what the matter is
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बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा बयान, लड़की के पीछे चलना हमेशा अपराध नही
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बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा बयान, लड़की के पीछे चलना हमेशा अपराध नहीं, जानें क्या मामला 

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Mumabi High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि लड़की का पीछा करना अकेला अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसके लिए पहले अपराध साबित करना होगा.