डीएनए हिंदी: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपना अगला लक्ष्य तेलंगाना को बना लिया है. मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के सामने मजबूत विपक्ष बनने की कोशिश में लगी बीजेपी ने इसी वजह से इस साल अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक (BJP National Executive Meeting) हैदराबाद में आयोजित की है. बीजेपी केसीआर के साथ-साथ हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) को भी यह संदेश देना चाहती है कि अब वह इन नेताओं को उनके घर में घेरने आ रही है. बीजेपी की इन्हीं कवायदों को नतीजा यह है कि केसीआर भी अब खुलकर बीजेपी के विरोध में आ गए हैं. उन्होंने कहा है कि बीजेपी उनकी सरकार को गिराने की कोशिश न करे वरना वह केंद्र की मोदी सरकार को गिरा देंगे.

इन बैठकों और रैलियों के अलावा बीजेपी का संगठन तेलंगाना में खुद को मजबूत करने में भी लगा हुआ है. 2019 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना की चार सीटें जीतने के बाद से ही बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. बीजेपी को लगता है कि जिस तरह वह लंबे समय से त्रिपुरा माणिक सरकार को हराने में कामयाब हो गई थी वैसा ही कुछ वह तेलंगाना में भी कर सकती है. यही कारण है कि बीजेपी ने पिछले कुछ दिनों से अपना फोकस तेलंगाना की ओर शिफ्ट कर दिया है.

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बूथ स्तर तक मेहनत कर रही है बीजेपी
उत्तर भारत में शानदार कामयाबी के बाद बीजेपी दक्षिण में भी पैर पसारने में लगी हुई है. दक्षिण में कर्नाटक के बाद उसका सबसे बड़ा टारगेट तेलंगाना है. इसी वजह से बीजेपी ने तेलंगाना के स्थानीय नेतृत्व के साथ आगे बढ़ने की रणनीति को पर काम करना शुरू कर दिया है. हैदराबाद में हो रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले बीजेपी के केंद्रीय नेताओं ने राज्य की 119 विधानसभा क्षेत्रों में जाकर 48 घंटे का प्रवास किया है और बूथ स्तर तक पार्टी काडर में अपना संदेश पहुंचाया है.

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तेलंगाना के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहुंच बनाना बीजेपी के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. राज्य के सामाजिक समीकरणों में बीजेपी का संगठन शहरी क्षेत्रों में तो काफी सक्रिय है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कांग्रेस और टीआरएस की स्थिति काफी मजबूत है. केंद्रीय स्तर पर कांग्रेस भले ही कमजोर दिखती हो लेकिन तेलंगाना में उसकी प्रभावी स्थिति अभी भी बरकरार है. पश्चिम बंगाल की तरह ही बीजेपी कोशिश कर रही है कि वह कम से कम मुख्य विपक्षी पार्टी बन जाए. हालांकि, ऐसा करने के लिए भी उसे टीआरएस के साथ-साथ कांग्रेस की भी चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

ओवैसी भी देंगे बड़ी चुनौती
तेलंगाना या यूं कहें कि खासकर हैदराबाद में बीजेपी के सामने एक चुनौती असदुद्दीन ओवैसी भी हैं. वैसे तो AIMIM का प्रभाव हैदराबाद तक ही सीमित है लेकिन नैरेटिव गढ़ने में माहिर असदुद्दीन ओवैसी बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल बन सकते हैं. आने वाले समय में हैदराबाद के चुनाव में औवेसी और बीजेपी के बीच संघर्ष देखने को मिल सकता है. दरअसल, औवेसी जिस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर लगातार बीजेपी का विरोध कर रहे हैं, उससे यह साफ है कि वह बीजेपी को आसानी से पैर नहीं जमाने देंगे.

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KCR और ओवैसी का किला ढहाने की तैयारी, समझें किस तरह जमीन तैयार कर रही BJP
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हैदराबाद में हो रही है बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक
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हैदराबाद में हो रही है बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक

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KCR और ओवैसी का किला ढहाने की तैयारी, समझें तेलंगाना में किस तरह जमीन तैयार कर रही बीजेपी