डीएनए हिंदी: कुछ महीने पहले पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली शर्मनाक हार के बाद से कांग्रेस पार्टी ठीक से उबर भी नहीं पाई है कि एक के बाद एक कई बड़े नेता  पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. इनमें पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री से लेकर प्रदेश में पार्टी के बड़े नेता शामिल हैं. इन हालात में कांग्रेस के लिए मुश्किलें और बढ़ती जा रही हैं.

कुछ ही दिन पहले कांग्रेस के कई बड़े नेता जिनमें चर्चित दलित चेहरा राज कुमार वर्का और कई दूसरे सीनियर नेता, जैसे कि बलबीर सिंह सिद्धू, गुरप्रीत सिंह कांगड़ और सुंदर शाम अरोड़ा बीजेपी में गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में शामिल हुए हैं. अकाली दल के पूर्व विधायक सरूप चंद सिंगला, मोहिंदर कौर जोश और बरनाला से कांग्रेस के पूर्व विधायक केवल सिंह ढिल्लों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था.  

 

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केवल सिंह ढिल्लों को पार्टी बदलने का इनाम भी तुरंत मिल गया है. उन्हें संगरूर से होने वाले लोकसभा उप-चुनाव के लिए बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. राजनीति में ऐसी भगदड़ कोई नई बात नहीं है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार का नतीजा संगठन के स्तर पर बड़े पैमाने पर हुए बदलावों के तौर पर देखने को मिला था. टॉप लीडरशिप में बदलाव से लेकर, पार्टी के सीनियर नेताओं का एक-एक कर पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होना भी इसका नतीजा है.

राजनीति के पंडितों का भी यही मानना है कि पार्टी बदलने का यह सिलसिला अक्सर चुनाव से ठीक पहले या चुनाव नतीजों के बाद नजर आता है. ऐसा ही कुछ पंजाब विधानसभा चुनावों के बाद भी देखने को मिल रहा है. कांग्रेस ही नहीं शिरोमणि अकाली दल (SAD) के भी कई नेता बीजेपी का दामन थाम रहे हैं. बीजेपी खुद पंजाब में अपनी जगह मजबूत बनाने के लिए संघर्ष कर रही है. खास तौर पर बीजेपी के लिए यह और भी जरूरी है क्योंकि पार्टी की पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन कृषि कानूनों के मुद्दे पर टूट चुक है.

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पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) अध्यक्ष सुनील जाखड़ के पार्टी छोड़ने के बाद पहले से ही माना जा रहा था कि कांग्रेस के कई पुराने और भरोसेमंद सिपाही पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.

राज्य या जनता का हित ऐसे दलबदलुओं के लिए दोयम दर्जे की बात है. अपने निजी स्वार्थ के लिए राजनीतिक पार्टी बदलने वाले नेताओं के लिए अपना हित पहले है. खास तौर पर बात जब इनके निजी राजनीतिक स्वार्थों की हो तो इनकी निष्ठा लचर है और जरूरत के मुताबिक पाले बदलते रहते हैं.

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एक सूत्र ने इसे समझाते हुए कहा, 'जैसे नाव डूबने की बारी आती है तो चूहे सबसे पहले भागते हैं उसी तरह कमजोर विचारों वाले नेताओं के लिए अपना स्वार्थ सबसे ऊपर होता है. अपने फायदे के लिए ये आसानी से पाला बदलकर दूसरी पार्टी में चले जाते हैं. हालांकि, इस मामले में यह अलग है कि बीजेपी को यह फायदा जरूर है कि उनके खेमे में ऐसे नेता जुड़ रहे हैं जो प्रदेश के पुराने और अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं.'
 

रवींद्र सिंह रॉबिन

(लेखक रवींद्र सिंह रॉबिन वरिष्ठ पत्रकार हैं. यह जी मीडिया से जुड़े हैं. राजनीतिक विषयों पर यह विचार रखते हैं.)  

(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

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BJP s Punjab expansion plans many senior congress and sad leaders join saffron party
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BJP In Punjab: प्रदेश में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए पार्टी का खास प्लान 
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जाखड़ समेत कई सीनियर लीडर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं
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जाखड़ समेत कई सीनियर लीडर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं

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BJP In Punjab: प्रदेश में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए पार्टी का खास प्लान