दिल्ली में नयी सरकार के गठन के साथ आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. पूर्व सीएम आतिशी ने पहली बैठक के बाद ही वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. बीजेपी (BJP) ने चुनाव के दौरान संकल्प पत्र में 2500 रुपये कैश ट्रांसफर के साथ कई और वादे किए हैं. सरकार बनने के बाद पार्टी के लिए इन वादों को पूरा करने में काफी मुश्किल हो सकती है. सबसे बड़ा संकट राजस्व का है. समझें की जीत के बाद पार्टी के सामने कौन सी चुनौतियां हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) ने विधानसभा से लेकर सड़क तक संघर्ष की बात कही है और बीजेपी के लिए इससे निपटना बड़ी चुनौती होगी.
राजस्व बढ़ाना बड़ा संकट
दिल्ली की मौजूदा सरकार के लिए सबसे बड़ा संकट राजस्व का है. संघ शासित प्रदेश होने की वजह से दिल्ली के पास सीमित आय के साधन हैं. फ्रीबीज को जारी रखने के लिए सरकार को भारी राजस्व की जरूरत है और इसके लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को जल्द से जल्द अपनी कैबिनेट के साथ कोई ठोस प्रस्ताव निकालना होगा.
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यमुना की सफाई के साथ मूलभूत सुविधाओं का विस्तार मुश्किल
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार का एक बड़ा कारण रहा मूलभूत सुविधाओं के विस्तार में कमी. मोहल्लों और ग्रामीण दिल्ली के हिस्से में सड़कों का हाल बेहाल है. डीटीसी बसों में महिलाओं के लिए फ्री यात्रा जरूर है, लेकिन खुद बसों की स्थिति दयनीय बनी है. इन सबके साथ यमुना की सफाई का बड़ा वादा बीजेपी ने किया है. इन सभी प्रोजेक्ट्स को अगले 5 साल में पूरा करना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है.
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दिल्ली में BJP सरकार के सामने कई चुनौतियां
बीजेपी को बंपर जीत तो मिली, लेकिन आसान नहीं होगी फ्रीबीज को जारी रखते अपने वादे पूरे करना