डीएनए हिंदी: लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक एक साल पहले बिहार में सियासी बिसातें बिछ गई हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले NDA गंठबंधन से लेकर महागठबंधन (Mahagathbandhan) तक ने अपनी-अपनी सधी हुई रणनीति तैयार कर ली है. शनिवार को बिहार में राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. गृहमंत्री अमित शाह जहां चंपारण में रैली करने पहुंचे, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन पूर्णिया में मेगा रैली के जरिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जवाब दे रहा है. अमित शाह वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र के तहत लौरिया में भी जनसभा के जरिए गठबंधन पर निशाना साधा.
पूर्णिया में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह समेत महागठबंधन के अन्य नेताओं ने जनसभा की. महागठबंधन बनाम बीजेपी की सीधी लड़ाई में बिहार राजनीतिक तौर पर बेहद अहम हो गया है.
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क्या है बीजेपी की तैयारी?
अमित शाह वाल्किमी नगर लोकसभा सीट पर जनसभा को संबोधित कर रहे हैं. वह कोर कमेटी की बैठक भी ले रहे हैं. उनकी अध्यक्षता में होने वाली बैठक में बैठक में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, वाल्मीकि नगर लोकसभा के वरिष्ठ भाजपा नेता, स्थानीय सांसद, विधायक व जिला भाजपा अध्यक्ष मौजूद हैं. बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने की तैयारी की जा रही है.
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BJP के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह बाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित करने के साथ राज्य के अपने दौरे की शुरुआत करेंगे. बाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र पार्टी का गढ़ रहा है जो पार्टी को 2019 में JDU के साथ सीट-बंटवारे मिला था.
पूर्णिया में महागठबंधन दिखा रहा है दम
पूर्णिया में महागठबंधन की रैली हो रही है, जिसमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री, कांग्रेस और वाम दलों जैसे छोटे सहयोगियों के साथ शामिल होंगे. नीतीश, अगले साल के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पछाड़ने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में लगे हैं. इस रैली को उसी की एक कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है. राज्य में बीजेपी के सत्ता से बेदखल होने के बाद अमित शाह पहली बार बिहार की राजधानी का दौरा करेंगे. इसे देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं.
क्यों बिहार बना है सियासी दलों का अखाड़ा, क्यों है इतना अहम है चुनाव?
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी एक-एक सीटों को साधने की कोशिश कर रही है. वहीं महागठबंधन की कोशिश है कि किसी भी तरह से बीजेपी की सीटों में सेंध लग जाए. इस चुनाव में आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू एकसाथ हैं.
बीजेपी जिस सुशासन का दावा करके बिहार में सीटें बिटोरती थी, वही सुशासन बाबू अब महागठबंधन के साथ हैं. ऐसे में बीजेपी की कोशिश है कि राज्य में सारे कैबिनेट मंत्रियों को उतार दिया जाए, जिससे महागठबंधन पर दबाव बने. बीजेपी के पास फिलहाल 303 लोकसभा सीटें हैं. अगर बिहार जैसे राज्य में सीटें कम आती हैं तो यह बीजेपी के लिए ठीक नहीं होगा. वहीं महागठबंधन की कोशिश है कि राज्य में बीजेपी और एनडीए गठबंधन उभरने न पाए.
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नीतीश और लालू की जोड़ी का काउंटर करने पहुंचे अमित शाह, लोकसभा चुनाव के लिए इतना अहम क्यों बिहार?