डीएनए हिंदी: साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो लैंगिक समानता और बेटियों के बराबरी के हक के लिए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' (Beti Bachao Beti Padhao) योजना शुरू की गई. अब इस योजना को शुरू हुए आठ साल हो चुके हैं. महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने लोकसभा (Loksabha) में बताया है कि इस योजना के लिए खर्च हुए पैसों में से आधे से ज्यादा हिस्सा मीडिया में प्रचार-प्रसार के लिए खर्च किया गया है. स्मृति ईरानी ने यह जानकारी लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब के तौर पर दी.
सरकार की ओर से जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने लिखित रूप में बताया कि 2014-22 के दौरान 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना के लिए मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार करने के लिए 401 करोड़ खर्च किए गए. यानी कि कुल खर्च की गई राशि का 54 प्रतिशत. आपको बता दें कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य लिंग अनुपात में सुधार करना और बेटी के माता-पिता को बेटियों को उच्च शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहित करना है.
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आठ साल में खर्च हुए 740.18 करोड़ रुपये
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि वित्त वर्ष 2014-22 के दौरान इस योजना पर 740.18 करोड़ रुपये खर्च हुए. इसमें से 401.04 करोड़ रुपये मीडिया के माध्यम से की जाने वाली पैरोकारी पर खर्च हुआ जो कुल खर्च का 54 प्रतिशत है. इस योजना के तहत चिह्नित किए गए देशभर के 405 जिलों में लड़कियों के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से अभियान चलाए जाते हैं.
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स्मृति ईरानी ने यह भी बताया कि यह मिशन महिलाओं और बेटियों को लेकर लोगों की सोच बदलने के लिए है, यही कारण रहा कि मीडिया में प्रचार-प्रसार के लिए ज्यादा पैसे खर्च हुए. उन्होंने यह भी कहा कि मिशन अपने लक्ष्य को हासिल करने में काफी हद तक सफल भी रहा है और बेटियों के प्रति लोगों के नज़रिए में काफी बदलाव भी आया है.
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Beti Bachao Beti Padhao: कुल आवंटन का 54 प्रतिशत पैसा मीडिया में प्रचार-प्रसार पर हुआ खर्च