Maharashtra Women Safety: कोविड-19 महामारी के दौरान जब पूरा देश लॉकडाउन में था, तब भी महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में कोई कमी नहीं आई. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान, जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, राज्य में हर दिन औसतन 109 महिलाएं अत्याचारों का शिकार हुईं. स्थिति आज भी वैसी ही बनी हुई है.

बदलापुर केस और सामाजिक उथल-पुथल
बदलापुर के एक स्कूल में बाल यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद, राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हड़कंप मच गया है. इस घटना के संदर्भ में, NCRB द्वारा जारी किए गए आंकड़ों ने महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ खुलेआम हो रहे अत्याचारों की भयावह सच्चाई को उजागर कर दिया है. 2021 में, कोविड-19 लॉकडाउन के कठिन हालातों के बावजूद, राज्य में हर दिन औसतन 109 महिलाएं अत्याचार का शिकार हुईं. 2022 के पहले छह महीनों में यह संख्या बढ़कर 126 हो गई, जो 2023 में भी स्थिर रही.

लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि
NCRB के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों की दर में कमी आने के बजाय वृद्धि हुई. 2020 में लॉकडाउन के दौरान, महाराष्ट्र में 31,701 अपराध महिलाओं के खिलाफ दर्ज किए गए, जिसका मतलब है कि हर दिन औसतन 88 महिलाएं अत्याचार का शिकार हुईं. 2021 में यह संख्या बढ़कर 39,266 हो गई और प्रतिदिन 109 महिलाएं अत्याचार का शिकार हुईं.

महायूति सरकार के दौरान स्थिति
जनवरी से जून 2022 के बीच, महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान, हर दिन 126 महिलाएं अत्याचार का शिकार हुईं. जबकि जुलाई से दिसंबर 2022 के बीच, महायूति सरकार के दौरान, यह संख्या थोड़ी घटकर 116 हो गई. हालांकि, 2023 में यह औसत फिर से 126 पर पहुंच गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि राज्य में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति अभी भी गंभीर है.

POCSO एक्ट के तहत अपराधों में वृद्धि
नाबालिग लड़कियों के खिलाफ अपराधों (POCSO धारा 12) में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है. 2021 से यह संख्या 249 तक पहुंच गई थी और 2022 में बढ़कर 332 हो गई.

मुंबई की स्थिति
मुंबई में 2023 में POCSO एक्ट के तहत बलात्कार के मामलों में थोड़ी कमी आई है. 2020 में 445 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2021 में यह संख्या बढ़कर 524 हो गई. 2023 में यह आंकड़ा थोड़ी कमी के साथ 590 तक पहुंच गया है.

महिला सुरक्षा के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता
ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं आई है. जबकि कुछ घटनाओं में वृद्धि हुई है और कुछ में कमी आई है, कुल मिलाकर स्थिति चिंताजनक है. राज्य में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और प्रभावी उपायों की तुरंत आवश्यकता है.

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Url Title
badlapur case maharashtra government women safety NCRB data revealed truth Uddhav Thackeray
Short Title
MVA Vs Mahayuti: महाराष्ट्र में नहीं बदली महिला सुरक्षा की तस्वीर, NCRB के आंकड़
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Maharashtra Women Safety
Date updated
Date published
Home Title

MVA Vs Mahayuti: महाराष्ट्र में नहीं बदली महिला सुरक्षा की तस्वीर, NCRB के आंकड़ों ने सच्चाई की उजागर

Word Count
490
Author Type
Author