डीएनए हिंदी: अयोध्या में रामलला के विग्रह के लिए नेपाल से शालिग्राम शिला आ रही है. यह शालिग्राम शिला नेपाल की काली गंडकी नदी से मिली है. 6 करोड़ साल पुराने 2 बड़े-बड़े शालीग्राम पत्थरों से भगवान के बाल स्वरूप की भव्य मूर्ति बनेगी. इसी पत्थर से मां सीता की भी मूर्ति मिलेगी. रामलला की मूर्ति 5 फीट की होगी. यह शिला कुशीनगर आज पहुंच रही है. जब नेपाल से यह पत्थर रवाना हुआ, लोग रो पड़े.
अयोध्या में रामलला की मूर्ति बेहद भव्य होगी. मूर्ति ऐसी बनाई जाएगी जिसमें सूर्य की किरणें रामलला के माथे पर सीधी पड़ें. श्रीराम मंदिर के लिए ये पत्थर नेपाल से आ रहे हैं. लोग इन पत्थरों को छूने के लिए रो पड़ रहे हैं. पवित्र शिला का 26 जनवरी को गलेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक भी हुआ था.
ट्रक से आ रही शालिग्राम शिला, भावुक हो रहे हैं लोग
शालिग्राम शिला से ट्रकों पर लदकर भारत आ रही है. सोमवार को अयोध्या के लिए इन पत्थरों को नेपाल से रवाना किया गया है. बिहार से होते हुए ये शिला 31 जनवरी 2023 को गोपालगंज के रास्ते उत्तर प्रदेश में आ रही है.
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ये है भारत में शिला का शेड्यूल
कुशीनगर पहुंचने के बाद शालिग्राम पत्थर जगदीश पुर से होते हुए गोरखपुर में 4 बजे तक पहुंच जाएंगे. 1 फरवरी को यह शिला अयोध्या के लिए रवाना होगी.
क्यों खास मानी जाती है शालिग्राम शिला?
शालिग्राम शिला का सनातन धर्म में खास स्थान है. माना जाता है कि शालिग्राम में भगवान विष्णु का वास होता है. ऐसी मान्यता है कि माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह हुआ था. शालिग्राम के पत्थर गंडकी नदी में पाए जाते हैं. हर घर में शालिग्राम की मूर्तियां मिल जाती हैं. शालिग्राम को भगवान का विग्रह माना जाता है.
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