डीएनए हिंदी: असम के मोरीगांव जिले की निम्मी की आंखों में मां बनने की खुशी की चमक नहीं, बल्कि डर, असुरक्षा का भाव और भविष्य में पेश आने वाली मुश्किलों की चिंता दिखाई देती है. वहीं, रेजिना खातून की आंखों में एक खालीपन नजर आता है. वह बस इसी ख्याल में डूबी हुई है कि आखिर उस पर दुखों का पहाड़ क्यों टूट पड़ा, जिसने उसकी खुशहाल दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. निम्मी उन हजारों बालिका वधुओं में से एक है, जिसके पति को असम पुलिस ने बाल विवाह के खिलाफ पिछले दो दिनों से जारी राज्यव्यापी मुहिम के तहत गिरफ्तार किया है.
रेजिना के बेटे ने एक नाबालिग से लव मैरिज की थी लेकिन अब वह जेल की सलाखों के पीछे है. बाल विवाह के खिलाफ मुहिम के तहत पुलिस ने शनिवार तक 2,258 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें शादी कराने वाले हिंदू पुजारी और मुस्लिम मौलवी भी शामिल हैं. पुलिस ने कहा कि कुल 8,000 आरोपियों की सूची तैयार की गई है.
असम में हजारों पति गिरफ्तार, 4,000 से ज्यादा लोगों पर दर्ज केस
राज्य कैबिनेट ने 23 जनवरी को बाल विवाह के आरोपियों को गिरफ्तार करने और इस कुरीति के खिलाफ व्यापक मुहिम एवं जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किए जाने के एक पखवाड़े से भी कम समय में पुलिस ने बाल विवाह के 4,074 मामले दर्ज किए हैं.
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आधी रात को 'बालिका वधुओं' के दरवाजे पर दस्तक दे रही पुलिस
निम्मी ने समाचार एजेंसी PTI और भाषा के साथ बातचीत में कहा, 'गुरुवार को देर रात करीब दो बजे दरवाजे पर दस्तक हुई. हमने दरवाजा खोला और बाहर पुलिसवालों को देखा. वे मेरे पति को अपने साथ ले गए.'
निम्मी की आवाज में बेबसी झलक रही थी और उसकी गोद में उसका डेढ़ महीने का बेटा रो रहा था. 17 वर्षीय निम्मी गोपाल बिस्वास (बदला हुआ नाम) को पसंद करती थी. उसने लगभग एक साल पहले 20 वर्षीय गोपाल से शादी कर ली थी. दोनों ने अपना परिवार शुरू किया. गोपाल गांव के चौराहे पर पकौड़े और अन्य पकवान बेचकर गुजर-बसर कर रहा था. प्रभावित लोगों के नाम उनकी सुरक्षा के मद्देनजर बदले गए हैं.
गोपाल का बड़ा भाई युधिष्ठिर भी उसी इलाके में अपने बूढ़े मां-बाप के साथ रहता है. उसने कहा, 'हम अपने परिवार के लिए मुश्किल से रोजी रोटी का जुगाड़ कर पाते हैं. हम निम्मी और उसके बेटे को कैसे पाल पाएंगे? वह कुछ बेसुध हो गई है. मुश्किल से कुछ खाती है. बच्चा भी बीमार हो गया है.'
आधार कार्ड में बालिक पत्नी की उम्र कम तो भी सलाखों के पीछे पति
रेजिना के बेटे रजिबुल हुसैन को गुरुवार सुबह करीब छह बजे उसके घर से पकड़ा गया. इसके चंद मिनट पहले ही वह केरल से अपने बीमार चाचा को लेकर अपने पिता के साथ घर लौटा था. रेजिना ने कहा कि कोई सुनने को तैयार नहीं है. उसने दावा किया, 'मेरी बहू की उम्र शादी की वैध उम्र से कम नहीं है, लेकिन आधार कार्ड में कुछ गलती के कारण मेरा बेटा अब जेल में है. वह (बहू) अपना जन्म प्रमाणपत्र लाने के लिए अपने पैतृक घर गई है, जो यहां से कुछ ही दूर है.'
सरकारी फरमान से अधर में लटका परिवारों का भविष्य
रेजिना के एक पड़ोसी ने दावा किया कि रजिबुल की पत्नी की तरह कई लड़कियां शादी के समय वास्तव में नाबालिग नहीं थीं, लेकिन आधार कार्ड के लिए नामांकन करते समय उनकी जन्मतिथि गलत दर्ज की गई थी. उसने दावा किया, 'उम्र का आंकड़ा पुलिस ने ज्यादातर स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से लिया है, जिनके पास आधार कार्ड के आधार पर जानकारी है. अब, हम मूल जन्म रिकॉर्ड हासिल करने में इन लड़कियों की मदद कर रहे हैं, ताकि उनके पतियों को जमानत मिल सके.'
जिन्होंने की भागकर शादी, कहां जाएंगे वे बच्चियां?
जहां कुछ बालिका वधुओं को अपने परिवारों से मदद और समर्थन मिल रहा है, तो वहीं रिया देवी जैसी कई लड़कियां अपने
पतियों की गिरफ्तारी के बाद अधिकारियों के रहम पर निर्भर हैं. सरकार द्वारा संचालित आश्रय गृह में अस्थाई रूप से रह रही 16 वर्षीय रिया ने कहा, 'हमारा कोई और परिवार नहीं है, क्योंकि हमने भागकर शादी की थी. अब मैं यहां से अपनी एक साल की बेटी के साथ कहां जाऊं?'
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एक अन्य शरणार्थी रूपा दास, जो 16 साल की है और नौ महीने की गर्भवती है ने भी यही कहा. उसने कहा, 'मेरे पति को रिहा करो. हमने सहमति से शादी की थी. अगर वह मेरे पास नहीं होगा, तो मैं क्या करूंगी.'
क्या कह रहा है राज्य का समाज कल्याण विभाग?
राज्य के समाज कल्याण विभाग में लिंग विशेषज्ञ परिमिता डेका, रिया और रूपा जैसी लड़कियों की मदद कर रही हैं. उन्होंने कहा, 'बाल विवाह के खिलाफ अभियान स्वागत योग्य है. लेकिन अब इन लड़कियों के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी है.'
डेका ने कहा, 'इनमें से अधिकतर खुद अभी बच्ची हैं. हमें उनसे संवेदनशीलता से निपटना होगा और उनके भविष्य को सुरक्षित करना होगा.'
असम में बाल विवाह बन गया है बड़ी समस्या
राज्य में बाल विवाह बड़े पैमाने पर होते हैं, लेकिन लोग इसे प्रतिबंधित करने वाले कानूनों से पूरी तरह से अनजान नहीं थे. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा है कि बाल विवाह के खिलाफ अभियान 2026 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, असम में मातृ और शिशु मृत्यु दर अत्यधिक है और इसके लिए बाल विवाह मूल कारण है, क्योंकि राज्य में पंजीकृत विवाहों में से औसतन 31 प्रतिशत निषिद्ध आयु वर्ग में हुए हैं.
नोट: संवेदनशील मामला होने की वजह से सभी लोगों के वास्तविक नाम बदले गए हैं. (इनपुट: PTI-भाषा)
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