डीएनए हिंदी: राजस्थान की राजनीति में मुख्यमंत्री पद को लेकर बड़ा हंगामा है. सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) अपनी कुर्सी सचिन पायलट (Sachin Pilot) को न देने के चक्कर में पार्टी आलाकमान से भी सांकेतिक तौर पर एक बार बागवत कर चुके हैं. इस कुर्सी के चक्कर में ही उन्होंने पार्टी अध्यक्ष तक के पद में रुचि नहीं दिखाई थी. इन सबके बावजूद अशोक गहलोत के एक बयान ने यह संकेत दिया है कि वे राजनीति से संन्यास लेने वाले हैं. उन्होंने कहा है कि वे राजनीति की क्लासेज लेंगे. गहलोत के इस बयान के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या सचिन पायलट के सामने अशोक गहलोत ने हार मान ली है?
दरअसल, भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) इस समय राजस्थान में पहुंच चुकी है. इस दौरान अशोक (Ashok Gehlot) गहलोत और सचिन पायलट कई बार राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ एक ही फ्रेम में दिखे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि राज्य के दो सीनियर नेताओं के बीच किसी तरह का कोई मतभेद नहीं है. इस बीच राजस्थान सरकार के चार साल पूरे होने पर सीएम अशोक गहलोत ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, "राजनीति से संन्यास लेने के बाद वह टीएन शेषन की तरह पॉलिटिकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोलेंगे, जहां वे राजनीति की क्लास देना शुरू करेंगे.''
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Ashok Gehlot सचिन पायलट को दे सकते हैं कुर्सी
अशोक गहलोत के इस बयान के आधार पर अब यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि जल्द ही कांग्रेस पार्टी राजस्थान की कमान अशोक गहलोत से लेकर सचिन पायलट के हाथ में दे सकती है. इसके चलते ही अशोक गहलोत पहले से राजनीतिक माहौल बना रहे हैं. अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके चलते यह माना जा रहा है कि राज्य में चुनाव से पहले पार्टी राज्य में नेतृत्व कर सकती है.
बता दें कि हिमाचल में कांग्रेस की जीत का एक बड़ा श्रेय सचिन पायलट को भी दिया जा रहा है. ऐसे में कांग्रेस में उनका कद बढ़ा है. दूसरी ओर अशोक गहलोत को गुजरात का प्रभार मिला था और गुजरात में कांग्रेस हाशिए पर चली गई थी. ऐसे में अशोक गहलोत को एहसास हो रहा है कि सचिन पायलट उन्हें सियासी पटखनी दे सकते हैं. पायलट की ताकत का अंदाजा होने के चलते ही अशोक गहलोत अब अपने रिटायरमेंट की भूमिका बनाने लगे हैं.
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सचिन पायलट ने दिखाई है ताकत
दूसरी ओर राजस्थान में Sachin Pilot के समर्थक भारत जोड़ो यात्रा में खूब सक्रिय दिख रहे हैं जिसके चलते खूब भीड़ जुट रही है. ऐसे में पार्टी को भी यह एहसास हो रहा है कि चुनावों में सचिन पायलट की सक्रियता ज्यादा अहम हो सकती है. चुनावों को देखते हुए और सचिन पायलट को राजनीतिक विरासत सौंपने के लिए अशोक गहलोत अपना मन बना चुके हैं. इसे सीधे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि अशोक गहलोत ने अब पायलट के सामने हार मान ली है.
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क्या राजनीति से संन्यास लेने वाले हैं अशोक गहलोत, सचिन पायलट से मान ली हार?