डीएनए हिंदी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा में पेश किया. यह बिल लोकसभा में पास हो चुका है. अब राज्यसभा में इसको लेकर बहस चल रही है. इस बिल को लेकर कांग्रेस-AAP समेत तमाम विपक्षी दलों ने विरोध जताया. विपक्षी सांसदों ने कहा कि इस बिल को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन करीब 7 घंटे चली चर्चा के बाद यह बिल राज्यसभा में भी पारित हो गया. सरकार के पक्ष में 131 ओर विपक्ष में 102 वोट पड़े. इस दौरान अमित शाह ने विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि कितनी भी कोशिश कर लीजिए, 2024 में फिर से मोदी ही सत्ता में आएंगे.
कांग्रेस को इस बिल बोलने के अधिकार नहीं- शाह
अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा,'हम संविधान में बदलाव इमरजेंसी के लिए नहीं लेकर आए हैं. कांग्रेस को इस पर बोलने का अधिकार नहीं है. आप की गोद में बैठी कांग्रेस इस कानून को लेकर आई थी. जो अब आप को खुश करने में लगी है.
अमित शाह ने AAP साधा निशाना
अमित शाह ने AAP सांसद राघव चड्ढा के बयान का जवाब देते हुए कहा कि अच्छे शब्दों से असत्य सत्य नहीं हो जाता. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया नहीं कि केजरीवाल सरकार ने ट्रांसफर शुरू कर दिए थे. उन्होंने कहा कि हम सबूत देंगे कि यह विधेयक किसी भी तरीके से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं करता है. यह विधेयक दिल्ली पर मौजूदा केंद्र सरकार के अध्यादेश को बदलने का प्रयास है.
AAP ने बिल को बताया राजनैतिक धोखा
AAP सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि यह बिल राजनैतिक धोखा है. उन्होंने कहा कि एक समय बीजेपी खुद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा जाने की मांग कर रही थी.
कांग्रेस बोली- ये असंवैधानिक
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस बिल को असंवैधानिक करार दिया है. बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'बीजेपी दिल्ली में सुपर सीएम बनाने की कोशिश में जुटी है. भाजपा का दृष्टिकोण किसी भी तरह दिल्ली पर नियंत्रण करने का है. वह चुनी हुई सरकार के अधिकारों को छीनना चाहती है. यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक और मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक है. यह संघवाद के सभी सिद्धांतों, सिविल सेवा जवाबदेही के सभी मानदंड़ों और चुनी हुई सरकार के सभी मॉडलों का उल्लंघन करता है.
ये भी पढ़ें- सदस्यता वापस मिलते ही राहुल गांधी ने चेंज किया ट्विटर बायो, जानें अब क्या लिखा
बता दें कि इस विधेयक का नाम 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023' है, जो 3 अगस्त को लोकसभा में पास हुआ था.
बिल पर चर्चा के दौरान हंगामा
इस बिल पर चर्चा के दौरान हंगामे के आसार बने हुए हैं. आम आदमी पार्टी ने इस विधेयक को अलोकतांत्रिक करार दिया है और अपने सभी सांसदों से विधेयक के खिलाफ वोट करने तो कहा है. कांग्रेस ने भी अपने राज्यसभा सांसदों को सोमवार को सदन में उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया थे. इसमें कहा गया है कि राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के सभी सदस्यों से अनुरोध है कि वे सोमवार, 7 अगस्त को सुबह 11 बजे से सदन स्थगन होने तक सदन में उपस्थित रहें और पार्टी के रुख का समर्थन करें.
इस बिल से दिल्ली पर क्या होगा असर?
केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 जारी किया था जिससे सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का कोई प्रभाव नहीं रहेगा जिसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र प्रशासन में सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को दिया गया था. यह विधेयक दिल्ली सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों के तबादलों और पदस्थापना के संबंध में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा. विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (INDIA) के 26 दल विधेयक को पारित करने के सरकार के कदम को विफल करने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे, भले ही संख्या बल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पक्ष में है. बीजू जनता दल (बीजद) और वाईएसआरसीपी ने विधेयक पर सरकार को अपना समर्थन देने का वादा किया है. सत्तारूढ़ एनडीए के 238 सदस्यीय ऊपरी सदन में 100 से अधिक सदस्य हैं और बीजद और वाईएसआरसीपी ने विधेयक को अपना समर्थन देने की भी घोषणा की है. कुछ निर्दलीय तथा मनोनीत सदस्य भी विधेयक का समर्थन कर सकते हैं.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
संसद में विपक्ष पर बरसे अमित शाह, बोले '2024 में फिर से आएंगे मोदी'