भारत में पिछले कुछ सालों से मातृत्व अवकाश को लेकर एक बहस छिड़ी रहती है. उसी से जुड़े एक मामले में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है.न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अपने फैसले में रामपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) द्वारा मातृत्व अवकाश न देने के आदेश को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मातृत्व अवकाश के लिए दो साल के गैप का नियम कानून के खिलाफ है. हाईकोर्ट ने आगे अपने आदेश में कहा कि शिक्षिका का मातृत्व अवकाश मंजूर किया जाए और उन्हें नियमित वेतन भी दिया जाए.
मातृत्व अवकाश देने से मना
आपको बता दें कि मुण्डिका स्थित प्राथमिक विद्यालय मनकारा रामपुर की सहायक शिक्षिका कुशल राणा ने मातृत्व अवकाश के लिए बीएसए रामपुर को आवेदन दिया था. जिसके बाद बीएसए अधिकारी ने 180 दिन के लिए मातृत्व अवकाश देने से मना कर दिया था, जिसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया. उन्होंने सरकारी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि दो बच्चों के मातृत्व अवकाश के बीच दो साल का अंतर होना चाहिए.
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मातृत्व अवकाश मंजूर किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुशल राणा नाम की शिक्षिका की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ बीएसए रामपुर द्वारा दिए गए 9 अगस्त के फैसले को गैरकानूनी करार देते हुए रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि कुशल राणा को सहायक शिक्षिका के तौर पर उनका मातृत्व अवकाश मंजूर किया जाए और उन्हें नियमित वेतन का भुगतान किया जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने छह सप्ताह के भीतर उनके बकाया वेतन का भी भुगतान करने का भी आदेश दिया है.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश को लेकर सुनाया बड़ा फैसला, दो साल के गैप कानून पर कही ये बात