डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता अजित पवार ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़ें है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के नाम का इस्तेमाल कर बीजेपी 2014 के चुनाव में बहुमत के साथ सत्ता में आई और हर राज्य में अपनी पकड़ मजबूत बनाई. अजित पवार ने कहा कि ईवीएम को दोष देना गलत है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) विश्वसनीय है और कोई एक व्यक्ति इस मशीन से छेड़छाड़ नहीं कर सकता है.
अजित पवार ने कहा कि चुनाव हारने वाले राजनीतिक दल अपने प्रदर्शन के लिए अक्सर EVM को जिम्मेदार ठहराते हैं लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि चुनावी हार जनादेश होता है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता ने ईवीएम को ‘क्लीन चिट’ देने से कुछ दिन पहले 2014 के चुनावों में भाजपा की जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्मा को श्रेय दिया था और कहा था कि देश में प्रधानमंत्री की अकादमिक डिग्री से ज्यादा महंगाई और युवाओं के लिए रोजगार ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दे हैं.
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पवार ने कहा कि मैं ईवीएम पर भरोसा करता हूं. एक अकेला व्यक्ति ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं कर सकता. यह बड़ी प्रणाली है और इसमें कई स्तर होते हैं. हालांकि, चुनावों में हार का सामना करने वाली पार्टी वोटिंग मशीन को जिम्मेदार ठहराती है लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि चुनाव परिणाम जनादेश है. गौरतलब है कि एनसीपी नेता शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र ‘सामना’ के शनिवार संस्करण में प्रकाशित एक संपादकीय पर सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें दावा किया गया कि भाजपा ईवीएम को हैक करके चुनाव जीतती है और इसमें ईवीएम हटाने के लिए बांग्लादेश के निर्वाचन निकाय को बधाई दी गई है.
विपक्षी दलों ने राज्यों में कैसे बनाई सरकार
पवार ने कहा कि अगर ईवीएम में खामी होती तो विपक्षी दल छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब, केरल, तमिलनाडु समेत विभिन्न राज्यों में सरकार नहीं बना पाते. भारत जैसे बड़े देश में एक अकेला व्यक्ति ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं कर सकता. अगर किसी तरह यह साबित हो जाता है कि वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ की गई है तो देश में बड़ी अराजकता पैदा हो जाएगी.
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शरद पवार ने विपक्षी एकत पर दिया बयान
इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने पर प्रतिक्रिया दी थी. शरद पवार ने अडाणी समूह का बचाव किया है और हिंडनबर्ग रिसर्च को लेकर कहा है कि भारतीय कारोबारी समूह को निशाना बनाया गया है. उनका यह बयान उस वक्त आया है कि जब करीब 20 विपक्षी दल अडाणी समूह के मामले को लेकर सरकार पर लगातार हमलावर थे और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की गठन की मांग कर रहे थे. यही नहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने के मकसद से ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पिछले कुछ दिनों के भीतर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की है. (भाषा इनपुट के साथ)
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