डीएनए हिंदी: भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) का फाइटर जेट MiG-21 लगातार कई सालों से हादसों का शिकार हो रहा है. हादसों की वजह से सैकड़ों जवान अपनी जान गंवा चुके हैं. इसके बावजूद पिछले 60 सालों से इस विमान का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना करती जा रही है. गुरुवार को भी राजस्थान में एक MiG-21 क्रैश हो गया और दोनों पायलट शहीद हो गए. पिछले एक साल में छह हादसों के बाद अब एयरफोर्स ने फैसला लिया है कि MiG-21 को रिटायर किया जाएगा. वायुसेना के श्रीनगर बेस पर मौजूद 51वीं स्क्वॉड्रन को सितंबर महीने के आखिर तक रिटायर कर दिया जाएगा.
एयरफोर्स के मुताबिक, इस साल 30 सितंबर तक श्रीनगर में मौजूद 51वीं स्क्वॉड्रन के सभी MiG-21 को रिटायर कर दिया जाएगा. आपको बता दें कि जनवरी 2021 से अब तक MiG-21 के छह विमान क्रैश हो चुके हैं और ज्यादातर हादसों में पायलटों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.
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51वीं स्क्वॉड्रन से रिटायर होंगे MiG-21
आपको बता दें कि 51वीं स्क्वॉड्रन एक फाइटर स्क्वॉड्रन है. इसी स्क्वॉड्रन के लड़ाकू विमानों ने फरवरी 2019 में बालाकोट स्ट्राइक को अंजाम दिया था और पाकिस्तानी एयरफोर्स के F-16 एयरक्राफ्ट को मार गिराया था. अब इस स्क्वॉड्रन के विमानों पर 30 सितंबर की तारीख वाली नंबर प्लेट लगाई जा रही हैं. इसके बाद इस स्क्वॉड्रन में सिर्फ़ तीन MiG-21 विमान बचेंगे. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, हर साल एक-एक करके इन सभी विमानों को 2025 तक रिटायर कर दिया जाएगा.
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एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में MiG सीरीज़ के विमान 400 से ज्यादा बार दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं. इन घटनाओं में लगभग 200 पायलटों ने अपनी जान भी गंवाई है. पिछले पांच सालों में ही कुल 46 हादसे हुए हैं और इन हादसों में 44 पायलटों की जान जा चुकी है. यही वजह है कि MiG विमानों को Flying Coffin यानी 'उड़ता हुआ ताबूत' भी कहा जाने लगा है.
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Air Force से रिटायर किए जाएंगे MiG-21 फाइटर जेट, लगातार हादसों के बाद लिया गया फैसला