डीएनए हिंदी: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) का सर्वर 8 दिन पहले हैक कर लिया गया था. हैकर्स ने 200 करोड़ रुपये मांगे थे. 8 दिन की मशक्कत के बाद AIIMS के सर्वर का डेटा रीस्टोर कर लिया गया है. यानी अब यह सर्वर हैकर्स के कब्जे में नहीं है. इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच शुरू कर दी है. हालांकि, अभी तक ऑनलाइन सेवाएं नहीं शुरू हो पाई हैं. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन समेत कई अन्य सेवाओं का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को अभी कुछ दिनों का इंतजार करना पड़ सकता है.
तकनीकी खामी के चलते ओपीडी के लिए आने वाले मरीजों को अभी भी समस्याओं का सामना करना पड़ा है. इसी के चलते कई मरीज भर्ती भी नहीं हो पाए. पहले से AIIMS में इलाज करा रहे लोगों को भी डिस्चार्ज कराने के लिए होने वाली ऑनलाइन प्रक्रिया में समस्या हो रही है. ऑनलाइन सेवाएं चालू न होने की वजह से ओपीडी, सैंपल कलेक्शन और डिस्चार्ज जैसी कई समस्याओं में अभी भी दिक्कतें हो रही हैं.
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200 करोड़ की फिरौती का क्या हुआ?
सर्वर का डेटा रीस्टोर करने के बाद नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेटंर (NIC) लगातार प्रयास कर रहा है कि इस तरह के साइबर हमले दोबारा न हो सकें. एम्स का सेंट्रल सर्वर हैक करने वाले हैकर्स ने 200 करोड़ रुपये मांगे थे. इन हैकर्स ने यह भी शर्त रखी थी कि ये पैसे क्रिप्टोकरंसी में दिए जाएं. हालांकि, प्रशासन ने फिरौती की रकम देने से साफ इनकार कर दिया और सर्वर को रीस्टोर कर लिया.
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इस मामले में NIA ने आतंकवादी हमले के एंगल से जांच शुरू कर दी है. दिल्ली पुलिस ने बयान जारी करके यह भी कहा कि एम्स प्रशासन ने फिरौती की मांग जैसी कोई बात नहीं कही है. कहा जा रहा है कि AIIMS का सर्वर हैक हो जाने से 3-4 लोगों का डेटा प्रभावित हो सकता है.
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हैकर्स के कब्जे से 8 दिन बाद फ्री हुआ AIIMS का सर्वर, जानिए 200 करोड़ की फिरौती का क्या हुआ