डीएनए हिंदी: रक्षा सेवाओं में भर्ती की केंद्र सरकार (Modi Government) की नई अग्निपथ योजना (Mission Agnipath) पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी ने शुक्रवार को कहा कि इस योजना के तहत सेना में शामिल अग्निवीर अगर पेंशन के हकदार नहीं हैं तो वह भी बतौर सांसद अपनी पेंशन छोड़ने को तैयार हैं.
वरुण गांधी ने सांसदों से विधायकों के सामने यह सवाल उठाया है कि क्यों न सभी अपनी पेंशन छोड़ दें और अग्निवीरों के लिए पेंशन की सुविधा तय करें.
क्या है अग्निपथ योजना?
अग्निपथ योजना भारतीय सेना के तीनों अंगों थलसेना, वायुसेना और नौसेना में अलग-अलग पदों पर भर्ती के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा लाई गई एक नई योजना है. इसमें भर्ती होने वाले युवाओं को अग्निवीर के रूप में जाना जाएगा और उनका कार्यकाल चार सालों का होगा.
अग्निवीर रिटायरमेंट के बाद पेंशन के हकदार नहीं होंगे. सेना में अब सारी भर्ती अग्निपथ योजना के तहत ही होगी. भर्ती के इस नए मॉडल की घोषणा के बाद से ही देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध देखा गया है.
वरुण गांधी ने एक ट्वीट में कहा, 'अल्पावधि की सेवा करने वाले अग्निवीर पेंशन के हकदार नही हैं तो जनप्रतिनिधियों को यह ‘सहूलियत’ क्यूं? राष्ट्र रक्षकों को पेंशन का अधिकार नही है तो मैं भी खुद की पेंशन छोड़ने को तैयार हूं. क्या हम विधायक और सांसद अपनी पेंशन छोड़ कर यह नहीं सुनिश्चित कर सकते कि अग्निवीरों को पेंशन मिले?'
वरुण गांधी इससे पहले भी योजना के खिलाफ लगातार अपनी आवाज उठाते रहे हैं. योजना के प्रवाधानों के खिलाफ वह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को एक पत्र भी लिख चुके हैं.
क्यों भड़का है अग्निपथ योजना पर विवाद?
अग्निपथ योजना 14 जून को घोषित की गई थी. इसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने का प्रावधान है. इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन होने के बाद सरकार ने पिछले दिनों 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया है.
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अग्निवीरों के लिए अपनी पेंशन छोड़ने के लिए तैयार वरुण गांधी, केंद्र पर क्यों भड़के?