डीएनए हिंदी: हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद से लगातार संकट से जूझ रहे अडानी ग्रुप को अब यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने झटका दे दिया है. यूपी में बिजली के प्रीपेड स्मार्ट मीटर खरीदने के लिए टेंडर जारी किया गया था. तीन कंपनियों ने बोली लगाई थी. उम्मीद जताई जा रही थी कि अडानी ग्रुप को यह टेंडर मिल जाएगा. अब मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने यह टेंडर ही कैंसल कर दिया है. निगम का कहना है कि जो न्यूनतम बोली लगी है वह भी तय रेट से 40 पर्सेंट ज्यादा है इसलिए टेंडर रद्द किया जा रहा है.
हालांकि, अब टेंडर कैंसल होने की वजह विभाग के लोग आपस में ही उलझ गए हैं. उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन ने टेंडर रद्द किए जाने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है. उन्होंने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम को आदेश दिया है कि वह इस मामले को खुद देखें. उनका कहना है कि टेंडर रद्द करने से पहले सेंट्रल स्टोर परचेज कमेटी की बैठक ही नहीं हुई जबकि टेंडर पर फैसला इस कमेटी को ही करना था.
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क्या है मीटर खरीदने का मामला?
दरअसल, उत्तर प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर खरीदे जाने हैं. 25 हजार करोड़ रुपये खर्च करके 2.5 करोड़ मीटर खरीदने की टेंडर प्रक्रिया हाल ही में पूरी हुई है. चार क्लस्टर में हुई टेंडरिंग में अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ट्रांसमिशन ने चारों में हिस्सा लिया. ज्यादातर टेंडरों में अडानी ग्रुन ने ही सबसे कम बोली लगाई. हालांकि, सबसे कम रेट भी प्रति मीटर लगभग 6,000 रुपये के तय रेट से ज्यादा लगभग 10 हजार रुपये था.
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निगम को लगा कि इतने पैसे खर्च करना ठीक नहीं है. इसलिए मध्यांचल विद्युत निगम वितरण निगम 70 लाख मीटरों को अपना टेंडर कैंसल कर दिया. इतने मीटरों की कीमत लगभग 5,400 करोड़ रुपये थी. इससे अडानी ग्रुप को भी बड़ा झटका लगा है क्योंकि मुश्किलों से जूझ रहे अडानी ग्रुप को इस सौदे से अच्छा-खासा मुनाफा हो सकता था.
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अडानी ग्रुप को योगी सरकार ने दिया झटका, बिजली का मीटर लगाने का टेंडर किया कैंसल