डीएनए हिंदी: आम आदमी पार्टी (AAP) को अब हिंदुत्व की राजनीति रास आ गई है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के जवाब में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) बेहद सधे कदमों में आगे बढ़ रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने जब अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी, तब राजनीति की दिशा पंथनिरपेक्ष राजनीति की थी. उनके लिए इंसानियत हर मजहब से बड़ी विचारधारा थी. 

राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं अक्सर विचारधाराओं पर भारी पड़ती हैं. जिस सेक्युलर राजनीति से अरविंद केजरीवाल ने शुरूआत की थी, उससे अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी एक-एक करके दूर हो होते गए. दिल्ली की सत्ता में वापसी होते ही अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक धुरी ही बदल दी. उन्हें समझ में आने लगा कि धार्मिक राजनीति का काउंटर भी धार्मिकता से दिया जा सकता है.

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हनुमानभक्ति से बदल गई थी अरविंद केजरीवाल की सियासत

अरविंद केजरीवाल ने हिंदुत्व की राजनीति हनुमान भक्ति से शुरू की थी. उन्होंने दिल्ली के हनुमान मंदिरों में प्रार्थना से अपनी राजनीति की शुरुआत की तो देखते ही देखते राममय हो गए. अब अरविंद केजरीवाल खुद को हनुमान और रामभक्त बताते हैं.

अगर अरविंद केजरीवाल के शुरुआती राजनीतिक सफर को देखें तो उनके भाषणों में इंकलाब जिंदाबाद, हिंदुस्तान जिंदाबाद, भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगते थे. अब उन्हें हिंदुत्व के नारे लगाने से भी कोई गुरेज नहीं है.

सेक्युलर राजनीति से सियासत की डगर है कठिन

साल 2020 में अरविंद केजरीवाल की दीपावली शायद की कोई भूला हो. हर टीवी चैनल पर अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया अपने परिवार के साथ दीपावली पूजन करते नजर आए थे. यह बदलाव सिर्फ अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया में नहीं नजर आया था. 

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अरविंद केजरीवाल को एहसास हो गया था कि अगर हिंदी भाषी राज्यों में राजनीति चमकानी है तो सेक्युलर राजनीति और दिल्ली मॉडल के जरिए ही चुनाव नहीं जीता जा सकता है. तभी अब हिंदुत्व का असर आम आदमी पार्टी के हर नेता पर स्पष्ट नजर आ रहा है. 

अरविंद केजरीवाल.

अरविंद केजरीवाल अब छठ भी मनाते हैं, दशहरा भी और छठ भी. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के तीर्थयात्रियों को अयोध्या की सैर भी करा चुके हैं. उन्होंने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी सम्मान किया था. राम से उन्हें बैर भी नहीं है. कांग्रेस की तरह वह हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर बीजेपी और संघ को आक्रामक ढंग से घेरते भी नहीं हैं. 
 
AAP नेताओं के भी बदल गए हैं अंदाज

आतिशी मार्लेना, जबसे आतिशी सिंह हुईं, उन्हें भी हिंदुत्व से गुरेज नहीं रहा. उन्होंने हाल ही 
में कहा है कि हम मानते हैं कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं. पहले जो ईश्वर को मानते हैं. दूसरे जो नहीं मानते हैं. हम पहले वाले हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले आतिशी ने खुद मार्क्स और लेनिन से लिया गया अपना उपनाम मार्लेना छोड़ दिया था. 

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नोटों पर लक्ष्मी गणेश की तस्वीर चाहते हैं अरविंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि नोटों पर हिंदू देवी-देवता लक्ष्मी और गणेश की तस्वीरें छापी जाएं. आतिशी ने भी इस अपील का समर्थन किया है. 

अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया.

आतिशी मर्लेना ने कहा कि आस्तिक और नास्तिक दो तरह के लोग होते हैं. नास्तिक ईश्वर को नहीं मानते हैं, आस्तिक मानते हैं. नास्तिक ईश्वर के अस्तित्व से इनकार करते हैं लेकिन हम लोग तो मानते हैं. 

कहीं डैमेज कंट्रोल की सियासत तो नहीं कर रहे हैं अरविंद केजरीवाल?

अरविंद केजरीवाल दरअसल पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के धर्मांतरण अध्याय पर बुरी तरह से घिर गए हैं. उन्होंने एक धर्म परिवर्तन कार्यक्रम में हिस्सा क्या लिया, अरविंद केजरीवाल को हिंदुत्व विरोधी कहा जाने लगा. राजेंद्र पाल गौतम ने 8 अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में शपथ लिया था, जहां हजारों लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया.

उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने शपथ लिया था कि मुझे ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर में कोई विश्वास नहीं होगा और न ही मैं उनकी पूजा करूंगा. अरविंद केजरीवाल इस प्रकरण पर बुरी तरह से घिर गए हैं.

...इस वजह से हिंदुत्व पॉलिटिक्स बनी केजरीवाल की मजबूरी 

अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेताओं पर मुस्लिम वोटरों के हिमायती होने का आरोप लगता रहा है. 2020 में भड़के सांप्रदायिक दंगों को लोग अभी भूले नहीं हैं. CAA विरोध प्रदर्शनों में भी आम आदमी पार्टी के विधायकों की विधायकों का नाम सामने आया था. अमानतुल्ला खान की वजह से भी AAP की छवि, बीजेपी हिंदू विरोधी गढ़ती रही है.

चुनाव गुजरात में है, इसलिए आम आदमी पार्टी चाहती है कि दिल्ली मॉडल की बात तो हो लेकिन हिंदुत्व से दूरी न रहे. किसी भी कीमत पर रिस्क लेने के मूड में नहीं है. यही वजह है कि सेक्युलर केजरीवाल अब बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. वह किसी भी कीमत पर हिंदू वोटरों को नाराज करने के मूड में नहीं हैं.

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बदले-बदले से हैं अरविंद केजरीवाल के अंदाज, क्या हिंदुत्व के सहारे AAP?
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो- Twitter/AAP)
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बदले-बदले से हैं अरविंद केजरीवाल के अंदाज, क्या हिंदुत्व के सहारे AAP पार करेगी सियासी नैया?