India Pakistan clash: भारतीय सेना ने गुरुवार को सेना और भारतीय वायुसेना के ठिकानों पर पाकिस्तान की तरफ से दागी गई मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट करने के लिए रूस और इजरायल निर्मित हथियारों और स्थानीय स्तर पर निर्मित सिस्टम का इस्तेमाल किया.
गुरुवार दोपहर रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि पाकिस्तान ने 7 और 8 मई की मध्य रात्रि में और दूसरा 8 मई की शाम को हमला किया. पाकिस्तान की तरफ से हमलों की नाकाम कोशिश को दो चरणों में देखा जा रहा है. हमलों की पहली लहर ने देश के उत्तर और पश्चिम में 15 शहरों को निशाना बनाया, और दूसरी में, जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के अन्य हिस्सों, पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती जिलों को निशाना बनाया. मामले के बारे में जानकारी रखते अधिकारियों ने बताया कि भारत ने पहले दौर के जवाब में लाहौर सहित पड़ोसी देश में सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमला किया. यह भी उम्मीद थी कि यह 8 मई को बाद में या 9 मई की सुबह दूसरी लहर का जवाब देगा.
भारत ने इन हथियारों का किया इस्तेमाल
HT.Com पर छपी खबर के मुताबिक, अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि भारतीय बलों ने आने वाले खतरों को नेस्तनाबूद करने के लिए रूसी मूल की एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली, स्थानीय रूप से निर्मित आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, विभिन्न प्रकार की ड्रोन रोधी प्रणालियों और अन्य जवाबी उपायों का इस्तेमाल किया, जिनका रडार और कमांड एवं नियंत्रण प्रणालियों के एकीकृत नेटवर्क द्वारा पता लगाने और ट्रैक करने के बाद तेजी से मुकाबला किया गया.
वहीं, इजरायल से खरीदे गए हारोप सहित अन्य हथियारों को पाकिस्तान में एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाने के लिए तैनात किया गया था. हारोप एक आत्मघाती ड्रोन है.
भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस से 39,000 करोड़ रुपये में S-400 मिसाइल सिस्टम की पांच यूनिट का ऑर्डर दिया था. एस-400, 400 किलोमीटर तक की रेंज में दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और मानव रहित हवाई प्रणालियों सहित कई तरह के हवाई खतरों का सामना कर सकता है.
भारत का मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम
एयर डिफेंस सिस्टम, भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण क्षमता रखती है, इसमें एकीकृत रडार, कमांड और नियंत्रण केंद्र व मिसाइलें हैं, जो इसे विभिन्न ऊंचाई और सीमा बैंडों पर लक्ष्यों का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और उन पर हमला करने में सक्षम बनाती हैं. 'आकाश' सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, जो उच्च पैंतरेबाजी वाले कम रडार क्रॉस-सेक्शन हवाई लक्ष्यों को रोकने में सक्षम है. इसे आने वाले खतरों को बेअसर करने के लिए तैनात किया गया था.
रक्षा मंत्रालय ने पहली लहर का जिक्र करते हुए कहा कि एकीकृत काउंटर-यूएएस (मानव रहित हवाई प्रणाली) ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों द्वारा पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोन को बेअसर कर दिया गया. ग्रिड और सिस्टम आने वाले खतरों को हराने के लिए एंटी-एयर हथियारों, सेंसर, रडार और सॉफ्ट-किल उपायों के एक अच्छी तरह से एकीकृत नेटवर्क को बताता है. कई जगहों से पाकिस्तानी हथियारों का मलबा बरामद किया गया.
गुरुवार की सुबह भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में कई स्थानों पर वायु रक्षा रडार और प्रणालियों को निशाना बनाने के लिए हारोप का इस्तेमाल किया गया. कई घंटों की क्षमता वाला कामिकेज़ ड्रोन, वायु रक्षा प्रणालियों, कमांड पोस्ट, गोला-बारूद के ढेर और आपूर्ति डिपो सहित उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है.
मंत्रालय ने कहा, 'भारत की जवाबी कार्रवाई पाकिस्तान के समान ही तीव्रता के साथ उसी क्षेत्र में रही है. भारत की तरफ से जवाबी कार्रवाई में लाहौर में एक हवाई रक्षा प्रणाली को तबाह कर दिया गया.' मंत्रालय के मुताबिक, पाकिस्तान की कोशिश नाकाम कर दी गई और उसे उसी अनुपात में जवाब मिला. 7 मई की रात को पाकिस्तान द्वारा निशाना बनाए गए शहरों में अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज शामिल थे. लड़ाकू जेट, सैन्य परिवहन विमान और कई सैन्य सुविधाएं और मुख्यालय उन शहरों में स्थित हैं जिन्हें पाकिस्तानी सेना ने तनाव बढ़ाने के लिए रात भर निशाना बनाने की नाकाम कोशिश की. भारतीय सेना ने बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. इसमें विशेष तकनीक वाले हथियारों का इस्तेमाल किया गया और वारहेड का सावधानीपूर्वक चयन किया गया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई अतिरिक्त क्षति न हो.
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चल रहा ऑपरेशन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की सीधी सैन्य प्रतिक्रिया है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, सभी पुरुष थे, जिनमें से 24 हिंदू थे. इस आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किए गए हथियारों में स्कैल्प डीप-स्ट्राइक क्रूज मिसाइलें शामिल थीं, जो राफेल लड़ाकू पायलटों को स्टैंडऑफ रेंज से जमीनी लक्ष्यों पर हमला करने की अनुमति देती हैं, हैमर स्मार्ट हथियार प्रणाली, निर्देशित बम किट और एक्सकैलिबर गोला-बारूद दागने वाले M777 हॉवित्जर शामिल थे. लक्ष्यों पर हमला करने के लिए कामिकेज़ ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया.
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